पीलीभीत। वित्तीय वर्ष 2017-18 शनिवार को समाप्त हो गया। अंतिम दिन सभी विभाग शासन
से मिले बजट को खपाने में जुटे रहे लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग फर्नीचर एवं
शिक्षामित्रों के मानदेय को प्राप्त हुआ लगभग 2.25 करोड़ और अल्पसंख्यक
कल्याण विभाग शादी अनुदान का 90.60 लाख रुपया खर्च नहीं कर सका। धनराशि
खर्च न होने पर दोनों विभागों को इसे शासन को वापस करना पड़ा।
जिले के विकास सहित तमाम मदों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में शासन से
विभागों को धनराशि आवंटित की गई थी। मार्च का महीनों शुरू होते ही विभागों
में इस बजट को खपाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। पीडब्ल्यूडी सहित सभी
निर्माण एजेंसियों के कार्यों में जहां तेजी आई वहीं पूर्व में कराए जा
चुके कार्यों के बिल तैयार किए गए ताकि अंतिम समय तक बजट मिलने पर उसका
भुगतान कराया जा सके। इसमें बेसिक शिक्षा एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को
छोड़कर लगभग सभी विभागों ने बाजी मार ली। स्वास्थ्य विभाग को अंतिम समय में
मिली धनराशि भी उपभोग कर ली गई। लेकिन सबसे खराब स्थिति बेसिक शिक्षा
विभाग की रही। फर्नीचर खरीद के लिए 12 मार्च को ही खाते में पहुंची 1.71
करोड़ की धनराशि विभागीय लापरवाही के चलते अंतिम समय तक खर्च नहीं की जा
सकी। इसके अलावा शिक्षामित्रों के मानदेय भुगतान के बिल तैयार न हो पाने के
चलते अंतिम समय में मिला 53.40 लाख का बजट भी विभाग को वापस करना पड़ा। इस
तरह बेसिक शिक्षा विभाग को लगभग 2.25 लाख रुपये की धनराशि खर्च नहीं हो
सकी।
बीएसए डॉ. इंद्रजीत प्रजापति ने बताया कि फर्नीचर खरीद के लिए धनराशि वापस
होने में लेखा विभाग की लापरवाही हुई है। इसके लिए लेखाधिकारी को नोटिस
जारी किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अल्पंसख्यक कल्याण विभाग को भी शादी
अनुदान के लिए शासन से जारी 90.60 लाख रुपये की धनराशि वापस करनी पड़ी। इस
बाबत जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि विभाग की
ओर से लगभग 500 आवेदकों का डाटा कंप्यूटर पर फीड कर ऑनलाइन किया गया था
लेकिन विभागीय सर्वर द्वारा डाटा स्वीकार न करने पाने के चलते धनराशि का
उपयोग नहीं हो सका। उन्होंने बताया यह स्थिति अन्य जिलों में भी रही है।
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