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भर्ती शुरू होने का बाद क्या है नियम बदलने की सही प्रक्रिया जिससे कोई न्यायिक पेंच नहीं फंसता - AG

*भर्ती शुरू होने का बाद क्या है नियम बदलने की सही प्रक्रिया जिससे कोई न्यायिक पेंच नहीं फंसता - AG*
1) भर्ती प्रक्रिया नियमावली, शासनादेश और दिशानिर्देशों के आधार पर चलती है जिसमें सबसे ऊपर नियमावली है। (नियमावली से ऊपर संविधान और केंद्र सरकार के अधिनियम)
*2) भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए GO जारी किया जाता है और उस GO जारी करते समय GO और नियमावली की भाषाशैली के आधार पर यह निर्णीत होता है कि भर्ती में कौन से नियम प्रभावी होंगे।*
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3) कभी कभी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के बाद नियम या प्रक्रिया बदलने का निर्णय सरकारों द्वारा कर लिया जाता है ऐसे में उन नए नियमों को प्रभावी करने के लिए दो रास्ते होते हैं।
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*4) पहला यह कि नए GO निकालकर पुराने GO को संशोधित कर दिया जाए इसी क्रम में नए नोटिफकेशन या विज्ञप्ति के माध्यम से जनसाधारण को संशोधन से सूचित कर दिया जाए।*
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5) दूसरा यह कि भर्ती के GO और नोटिफकेशन या विज्ञप्ति को Withdraw कर लिया जाए मतलब प्रकिया रद्द कर नए नियमों को बनाकर उनका उल्लेख करते हुए नया GO और नया नोटिफकेशन जारी कर फिर से प्रक्रिया शुरू की जाए।
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*6) पहले वाले रास्ते से चलें तो एक अड़ंगा बीच मे अड़ता है कि भर्ती के नियम भर्ती शुरू होने के बाद नहीं बदले जा सकते ये कई SC ऑर्डर्स से स्पष्ट होता है पर इस विषय पर अन्य पीठों के भिन्न मत होने के कारण लार्जर बेंच को यह अभी decide करना है जुलाई 2018 में सुनवाई होनी है।*
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7) और तेज प्रकाश पाठक के इस केस का असर पूरे भारत मे आगे होने वाली भर्तियो पर पड़ेगा साथ ही निर्णय आने तक जो भर्तियां नए नियम पुराने नियम को लेकर कोर्ट में चैलेंज होंगी उन पर भी व्यापक असर पड़ेगा।
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*8) 68500 में कटऑफ को लेकर पहली प्रक्रिया अपनाई गयी जिसमें लार्जर बेंच से यदि यह निर्णय आता है कि नियोक्ता प्रक्रिया के दौरान भी नियम बदल सकता है तब तो नयी कटऑफ अमर हो जाएगी अन्यथा आप समझ ही गए होंगे।*
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9) कॉन्ट्रोवर्सी से बचते हुए विभाग को दूसरा रास्ता अपनाना चाहिए था क्योंकि प्रक्रिया आरम्भ करने का यह मतलब नहीं है की नियोक्ता को जबरदस्ती वो भर्ती करनी ही करनी है। नियोक्ता कभी भी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर सकता है।
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*10) यदि भर्ती प्रक्रिया में कुछ लोगो को जॉइन करा भी दिया जाता है और कुछ की नियुक्ति रह जाती है उस केस में भी नियोक्ता प्रक्रिया को उसी स्टेज पर रोक सकता है और आगे बढ़ने से मना कर सकता है बशर्ते नियमावली में यह न लिखा हो कि भर्ती शुरू करने के बाद उस भर्ती के रिक्त पद अभ्यर्थी उपलब्ध होने पर भरे ही भरे जाने हैं।*
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11) नियोक्ता को किसी भी स्टेज पर भर्ती निरस्त करने का अधिकार है। यह सुप्रीम कोर्ट कई केसेस में कह चुकी है जिनमे मुख्य है -
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● Shankarsan Dash
vs. Union of India 1991 AIR (SC) 1612
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● Jai Singh Dalal Vs. State of Haryana 1993 Supp (2) SCC 600
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●State of Bihar vs. Secretariat Assistant Successful Examinees Union (1994) 1 SCC 126.
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● State of Madhya Pradesh vs.   Raghuveer Singh Yadav
(1994) 6 SCC 151
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*12) अब भर्ती परीक्षा हो चुकी है अब निरस्त होने से कई ऐसे लोगो को ठेस पहुंचेगी जिनको अच्छे मार्क्स मिलने की आशा है। शिक्षामित्रों को मिल रहे भारांक के कारण कई लोग 67 से ऊपर लाने पर भी बाहर हो सकते हैं और उन्हें नयी कटऑफ दुश्मन नजर आएगी ही।*
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13) ऐसे में जो 60/67 से नीचे लाकर पास हो रहे हैं उनका भविष्य इसी तेज प्रकाश पाठक के केस पर निर्भर हो सकता है। विभाग परीक्षा कराने से पहले ही दूसरी प्रक्रिया अपनाकर पुराना रद्द कर नया GO निकाल देती तो आगे 45/49 से 60/67 को मुसीबत न झेलनी पड़ती।
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~AG

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