प्रशिक्षु के साथ पढ़ाकू ही बनेंगे शिक्षक: डीएलएड की निरंतर सीटें बढ़ने से मुकाबला हो रहा कड़ा

इलाहाबाद : एक वह भी दौर था, जब बीटीसी कालेजों से निकलने वाले प्रशिक्षुओं की नियुक्ति सत्र के हिसाब से होती रही है। उस समय प्रशिक्षु मेरिट के हिसाब से आसानी से तैनाती पा जाते थे लेकिन, अब सब कुछ बदल चुका है।
प्रशिक्षण पाने के लिए प्रवेश में भले ही मेरिट पैमाना बना है लेकिन, नियुक्ति उसे ही मिलेगी जो परीक्षा उत्तीर्ण करेगा। इसके लिए जरूरी है कि सही से प्रशिक्षण लें और पढ़ाई निरंतर जारी रखे, अन्यथा शिक्षक बनना ख्वाब ही रह जाएगा।
प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में उन्हीं प्रशिक्षुओं को नियुक्ति मिलती थी, जो जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानि डायट व बीएड कालेजों से निकले। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानि एनसीटीई ने बीएड वालों को प्राथमिक स्कूलों में जाने से रोक दिया है, अब केवल डीएलएड यानि बीटीसी करने वाले ही दावेदार होंगे। 2013-14 में पहली बार 237 निजी कालेजों को बीटीसी की संबद्धता दी गई। इसके बाद हर सत्र में निजी कालेजों की संख्या निरंतर बढ़ती चली गई। महज चार वर्ष में ही सूबे में निजी कालेज बढ़कर 2818 हो गए हैं और हर कालेज में 50-50 सीटें आवंटित हैं। वहीं, डायट की संख्या अब भी 63 है और सीटों में भी बदलाव नहीं हुआ है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के सूत्रों की मानें तो 2018 सत्र के लिए शासन में करीब 300 से अधिक कालेजों ने संबद्धता पाने की दावेदारी कर रखी है। समय पर संबद्धता जारी होने से वहां भी प्रवेश शुरू होंगे। ऐसे में अब हर दो वर्ष पर करीब सवा दो लाख से अधिक प्रशिक्षु निकलेंगे, जबकि परिषदीय स्कूलों में हर वर्ष अधिकतम 15 हजार ही सीटें रिक्त हो रही हैं।यही नहीं करीब दो लाख प्रशिक्षु पहले से शिक्षक बनने की दौड़ में हैं। ऐसे में शिक्षक बनने का मुकाबला प्रदेश में बेहद कड़ा हो गया है। इसमें वही प्रशिक्षु बाजी मारेंगे जो निरंतर पढ़ाई करेंगे, हालांकि शासन ने निजी स्कूलों में भी प्रशिक्षित शिक्षकों को ही तैनाती करने का आदेश दिया है, इससे प्रशिक्षुओं को अब निजी स्कूलों में भी तैनाती मिलेगी। इसका स्याह पक्ष यह है कि निजी डीएलएड कालेजों में पढ़ाई का स्तर बेहद खराब है, प्रशिक्षु सेमेस्टर परीक्षा व टीईटी आदि उत्तीर्ण नहीं कर पा रहे हैं। इस तरह से प्रशिक्षण पाने वाले आगे प्रशिक्षु ही बने रहेंगे।