महराजगंज (रायबरेली) : एक तो समायोजन रद होने का दर्द, दूसरे चार माह से
मानदेय का न मिलना। इसके चलते परिवार में दो जून की रोटी मुहैया कराना भी
मुश्किल हो गया। ऐसे में हर तरफ से नाउम्मीद एक शिक्षामित्र ने सोमवार सुबह
फांसी लगाकर जान दे दी।
1कोतवाली क्षेत्र के बैखरा निवासी अनिल कुमार यादव
(32) अमावां विकास खंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कुसिहा में वर्ष 2009
से शिक्षा मित्र के पद पर तैनात थे। 25 जुलाई 2017 को समायोजित
शिक्षामित्रों का समायोजन रद होने से उन्हें झटका लगा था। सहायक अध्यापक
बनने के लिए प्रदेश सरकार ने टीईटी के साथ एक और परीक्षा भी अनिवार्य कर
दी। ऐसे में शिक्षामित्र अनिल यादव अवसादग्रस्त हो गए। उनका इलाज लखनऊ के
निजी अस्पताल में चल रहा था। इधर, पिछले चार महीनों से उन्हें मानदेय भी
नहीं मिला था। इससे इलाज में भी परेशानी हो रही थी। सोमवार सुबह वे स्कूल
के लिए तैयार होने घर की दूसरी मंजिल पर स्थित एक कमरे में चले गए। उनकी
मां कलावती भोजन परोसने के लिए बैठी थीं। देर तक वापस न आने पर मां जब छत
पर गईं तो देखा कि कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और अनिल का शव रस्सी के
सहारे छत की कुंडी से लटक रहा था। यह नजारा देखकर कलावती के होश उड़ गए।
चीखते-चिल्लाते हुए वे आईं और परिजनों को सूचना दी। परिजन जब तक अनिल को
रस्सी से नीचे उतारते तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। मृतक शिक्षामित्र के पिता
रामेश्वर ने बताया कि जब से समायोजन रद हुआ था। तब से बेटा चिंतित रहता
था। कुछ दिन बाद ही वह अवसाद ग्रस्त हो गया था।
बजट के अभाव में नहीं मिल रहा मानदेय : बीएसए
शिक्षामित्रों को मानदेय देर से क्यों मिल रहा है? इस पर बीएसए पीएन सिंह
ने बताया कि बजट का अभाव है। शासन स्तर से बजट जिस तरह भेजा जाता है, उसी
के अनुरूप मानदेय का वितरण होता है।
