शिक्षामित्रों को नहीं मिला मानदेय

रंगों के त्योहार होली पर जब हर कोई लजीज व्यंजनों का स्वाद लेगा वहीं शिक्षामित्र और उनके परिवार के लोग उपवास रखने को मजबूर होंगे। दरअसल शिक्षामित्रों को चार महीने से मानदेय नहीं दिया गया है। इससे उनके पास दो जून की रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है।
फिर त्योहार की सामग्री जुटाना उनके लिए टेढ़ी खीर थी। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष रत्नाकर सिंह और आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सोमप्रकाश मिश्र ने बताया कि वर्ष 2018 में अप्रैल और मई तो इस साल जनवरी, फरवरी का मानदेय नहीं दिया गया है। इससे खफा शिक्षामित्रों ने इस होली पर उपवास रखने का निर्णय लिया है।
वहीं सोमप्रकाश मिश्र का कहना है कि बजट उपलब्ध होने के बाद भी शिक्षामित्रों को मानदेय नहीं दिया गया है। इससे उनके सामने दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने का भी संकट है। त्योहार पर भूखों रहने की मजबूरी है। रत्नाकर सिंह का कहना है कि ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है। इससे पहले भी बजट उपलब्ध होने के बावजूद शिक्षामित्रों के त्योहार फीके  किए गए हैं। उन्हें जानबूझकर मानदेय नहीं दिया जाता। इससे परेशानी होती है। इसके खिलाफ आंदोलन होगा। वहीं राजेश शुक्ला का कहना है कि शिक्षामित्रों के प्रति सरकार का रवैया अच्छा नहीं है। पहले उनसे नौकरी छीनी गई। अब मानदेय नहीं देकर पूरे परिवार को परेशान किया जा रहा है। सरकारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वहीं मीना देवी का कहना है कि परिवार की स्थिति देखकर आंसू आ जाते हैं। बच्चों की ख्वाहिशें पूरी नहीं हो पा रही हैं। बच्चे दूसरों को देखकर रोते हैं। आर्थिक तंगी के कारण सबकुछ सहन करना पड़ रहा है। किसी तरह उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है।