मुख्यालय के रहुनियां धर्मशाला निवासी शिक्षक अंशुमान पांडेय की छह माह
पूर्व ही प्राथमिक विद्यालय पुरैनी में तैनाती हुई थी। इससे पूर्व करीब 12
वर्ष तक वह शिक्षामित्र थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिक्षामित्रों को रिवर्ट करने के बाद शुरू आंदोलन
में भी अंशुमान ने हिस्सा लिया था। बाद में 68 हजार 500 शिक्षकों की भर्ती
में अंशुमान ने टीईटी और अध्यापक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद नियमित
अध्यापक के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया था। लेकिन बुधवार की रात हुई घटना
से पूरा परिवार बिखर गया।
कुरारा थानाक्षेत्र के सिकरोढ़ी गांव निवासी अधिवक्ता कृष्णबिहारी पांडेय के पुत्र अंशुमान (38) ने शिक्षा के क्षेत्र में शुरू से ही संघर्ष किया। उनकी 2006 में बतौर शिक्षामित्र के रूप में सिकरोढ़ी गांव के स्कूल में तैनाती हुई थी।
सपा शासनकाल में शिक्षामित्रों को समायोजित करते हुए शिक्षक के रूप में तैनाती दे दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी शिक्षामित्रों को उनके मूल पदों पर वापस भेज दिया गया।
इस दौरान आंदोलन भी चलते रहे। उनकी नियमित शिक्षक के रूप में सरीला तहसील के पुरैनी गांव के कन्या प्राथमिक विद्यालय में तैनाती हुई। अभी अंशुमान का नियमित शिक्षक के रूप में कैरियर शुरू ही हुआ था कि बुधवार की रात में हुए हादसे में उसकी मौत हो गई। पत्नी पुष्पलता और दो मासूम बेटियों का बुरा हाल है।
कुरारा थानाक्षेत्र के सिकरोढ़ी गांव निवासी अधिवक्ता कृष्णबिहारी पांडेय के पुत्र अंशुमान (38) ने शिक्षा के क्षेत्र में शुरू से ही संघर्ष किया। उनकी 2006 में बतौर शिक्षामित्र के रूप में सिकरोढ़ी गांव के स्कूल में तैनाती हुई थी।
सपा शासनकाल में शिक्षामित्रों को समायोजित करते हुए शिक्षक के रूप में तैनाती दे दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी शिक्षामित्रों को उनके मूल पदों पर वापस भेज दिया गया।
इस दौरान आंदोलन भी चलते रहे। उनकी नियमित शिक्षक के रूप में सरीला तहसील के पुरैनी गांव के कन्या प्राथमिक विद्यालय में तैनाती हुई। अभी अंशुमान का नियमित शिक्षक के रूप में कैरियर शुरू ही हुआ था कि बुधवार की रात में हुए हादसे में उसकी मौत हो गई। पत्नी पुष्पलता और दो मासूम बेटियों का बुरा हाल है।