सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के संबंध में 7 जनवरी 2019 का शासनादेश निरस्त , ये है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के दौरान पहली सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को झटका लगा है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है.




दरअसल, पिछले साल सहायक अध्यापक नियुक्ति मामले में हुई धांधली की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसे राज्य सरकार ने चुनौती देते हुए एक और अपील दाखिल की थी. इस पर सुनवाई करते हुए फरवरी में हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने सीबीआई जांच पर रोक लगाई थी, जिसके बाद परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों ने अदालत में याचिका दायर करके सीबीआई जांच को बरकरार रखने की मांग की है. यूपी में 68,500 पदों पर नियुक्तियां हुई थीं.



मालूम कि हो कि यूपी सरकार ने 1 दिसंबर 2018 को यूपी में 69 हजार सहायक शिक्षकों के लिए भर्ती प्रकिया की शुरुआत की, जिसके बाद 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा आयोजित हुई. परीक्षा होने के बाद 7 जनवरी को सरकार ने अनारक्षित वर्ग के लिए 65 और OBC के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिए. सरकार के इस निर्णय को याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. याचिका में कहा गया था कि लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स तय करना गैर कानूनन है. इस पर सरकार का कहना था कि कट ऑफ बढ़ाने के पीछे क्वालिटी एजुकेशन देने की मंशा है.



बहरहाल , इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के संबंध में 7 जनवरी 2019 का शासनादेश निरस्त कर  दिया था. इस शासनादेश के द्वारा सामान्य और आरक्षण श्रेणी के लिए क्रमशः 65 व 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित किया गया था. हाईकोर्ट ने दर्जनों याचिकाओं को मंजूर करते हुए कहा था कि पिछले साल सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की तरह क्वालिफाइंग मार्क्स तय करते हुए रिजल्ट तीन महीने में घोषित करें.


ये है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश में 68,500 पदों पर प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्तियां हुई थीं. इस परीक्षा में शामिल सोनिका देवी ने याचिका दायर कर परीक्षा प्रक्रिया पर आपत्तियां जताई. सुनवाई के दौरान परीक्षा नियामक प्राधिकरण इलाहाबाद से मंगवाए गए दस्तावेजों की जांच हुई. इसमें सामने आया कि अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को बदला गया है. सरकार ने जांच के लिए समिति बनाई, जिसमें प्रमुख सचिव चीनी उद्योग संजय आर भूसरेड्डी को अध्यक्ष और सर्व शिक्षा अभियान निदेशक वेदपति मिश्रा व बेसिक शिक्षा के डायरेक्टर सर्वेंद्र विक्रम सिंह को सदस्य बनाया गया. प्राधिकरण सचिव को निलंबित किया गया. समिति ने बताया कि 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां में गड़बड़ियां सामने आई.


समिति की जांच के बाद दोबारा परीक्षा परिणाम जारी किए. जिसमें 23 अभ्यर्थियों को योग्य घोषित किया गया, वे पहली लिस्ट में फेल थे. वहीं 24 अभ्यर्थियों को योग्य होते हुए भी आयोग्य घोषित किया गया. एक नवंबर को हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.
फरवरी में उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच ने सीबीआई जांच पर रोक लगाई थी. परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों ने अदालत में याचिका दायर करके सीबीआई जांच को बरकरार रखने की मांग की है.
primary ka master, primary ka master current news, primarykamaster, basic siksha news, basic shiksha news, upbasiceduparishad, uptet
Originally published by https://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/