वाराणसी,जेएनएन। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की एलटी
ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर आउट मामले में गिरफ्तार कोलकाता के
प्रिटिंग प्रेस मालिक कौशिक कुमार से पूछताछ में पता चला है कि गिरोह ने
20-20 लाख रुपये में अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराने का सौदा किया था।
एसटीएफ का दावा है कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक (सचिव) अंजू लता कटियार की गिरोह से मिलीभगत है। उन्हें गिरोह का सरगना मोटी रकम भी देता रहा है। उनके खिलाफ चोलापुर थाने में भ्रष्टाचार का मुकदमा लिखा गया है।
सीआईडी पश्चिम बंगाल के डीआईजी ने एसटीएफ के आईजी को पिछले साल 29 जुलाई को यूपी पीएससी द्वारा आयोजित एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर आउट होने के बाबत पत्र भेजा था। कोलकाता के अशोक देव चौधरी ने भी डीजीपी को पत्र भेजकर पेपर आउट करने वाले गिरोह का भेद खोला। इस मामले की जांच के दौरान एसटीएफ वाराणसी यूनिट ने कोलकाता से अशोक देव चौधरी को बुलाकर पूछताछ की। उसने बताया कि गिरोह का सरगना कोलकाता स्थित सिक्योरिटी प्रिटिंग प्रेस का मालिक कौशिक कुमार है। यूपी लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं के पेपर उसके प्रेस में ही छपते हैं। उसने ही पिछले साल एलटी ग्रेड परीक्षा के पेपर आउट किए थे। 20-20 लाख रुपये में परीक्षा पास कराने का सौदा तय हुआ। फिर परीक्षा से एक दिन पहले 28 जुलाई को 50 अभ्यर्थियों को वाराणसी में यूपी कॉलेज के पास बुलाया गया। उन्हें 10 किलोमीटर दूर कौशल विकास केंद्र ले जाया गया। अशोक ने एसटीएफ को बताया कि कौशिक ने उसे पेपर लेकर वाराणसी भेजा था। अभ्यर्थियों को हिंदी और सामाजिक विज्ञान के सॉल्व पेपर देकर दो घंटे में याद करने के लिए कहा गया। फिर पेपर जला दिए गए थे। अशोक ने पेपर जलाते समय मोबाइल द्वारा चुपके से वीडियो बनाने के साथ ही फोटो भी खींच ली थी। परीक्षा से पहले इन 50 अभ्यर्थियों से ढाई से पांच लाख रुपये एडवांस लिए थे।
एसटीएफ ने कुछ अभ्यर्थियों को भी बुलाकर पूछताछ की। उन्होंने बताया कि
जौनपुर में मडिय़ाहूं क्षत्र के विधिपुर गांव निवासी अजय चौहान और अजीत
चौहान तथा गाजीपुर में गोरा बाजार के प्रभुदयाल ने उनसे 20-20 लाख रुपये
में परीक्षा पास कराने की जिम्मेदारी ली थी। ज्यादातर अभ्यर्थी पूर्वांचल
के जिलों के थे।
भेद खोलने वाले अशोक देव चौधरी द्वारा बताए तथ्यों की जांच से साफ हो गया कि उसकी शिकायत सही है। दो दिन पहले 27 मई को अशोक ने ही एसटीएफ को सूचना दी कि कौशिक लोक सेवा आयोग की आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट करने के सिलसिले में गिरोह के लोगों से मिलने वाराणसी गया है। एसटीएफ ने सोमवार रात उसे चोलापुर इलाके में गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसने बताया कि वह आयोग की परीक्षा नियंत्रक ने उसे आगामी परीक्षा के पेपर छापने के लिए दिया है। उसने कुबूला कि 29 जुलाई 2018 को आयोजित एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर उसने आउट करने के इरादे से ज्यादा छाप लिए थे। परीक्षा से एक दिन पहले सॉल्व पेपर अभ्यर्थियों को पढ़ाने के बाद गिरोह के रंजीत कुमार ने उसे 50 लाख रुपये दिए थे। परीक्षा परिणाम निकलने के बाद प्रति अभ्यर्थी पांच लाख रुपये के हिसाब से उसे और दिया जाना था। मगर अशोक देव चौधरी की बगावत से पूरा खेल बिगड़ गया। उसने पुलिस में शिकायत कर दी। कौशिक ने बताया कि पेपर छापने के लिए मिलने वाली धनराशि में पांच फीसद बतौर कमीशन वह परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार को देता था। बताया कि 26 मई को प्रयागराज में नए पेपर लेते वक्त उसने अंजू लता को 10 लाख रुपये नगद दिए हैं।
परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ ठोस सुबूत
पेपर आउट करने वाले गिरोह से आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता की मिलीभगत साबित करने के लिए एसटीएफ के पास ठोस सुबूत हैं। गिरोह सरगना कौशिक के बयान के अलावा उससे व्हाट्स एप पर अंजू लता की बातचीत के मैसेज भी हैं। कई मैसेज ऐसे हैं जिनमें उन्होंने अशोक देव चौधरी द्वारा पुलिस में शिकायत पर चिंता जाहिर की है। परीक्षा में गड़बड़ी के बारे में एसटीएफ के पत्र और पुलिस द्वारा प्रकाशक के खिलाफ मुकदमा लिखाने की सलाह की अनदेखी करते हुए कौशिक को ही पेपर छापने का जिम्मा देने से भी अंजू लता फंस गई हैं। एसटीएफ ने इसे गिरोह बनाकर आपराधिक साजिश करते हुए पेपर आउट कर भारी लाभ कमाने और लोक हित के खिलाफ अपराध करार देते हुए चोलापुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत कई धाराओं में मुकदमा लिखाया है।
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एसटीएफ का दावा है कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक (सचिव) अंजू लता कटियार की गिरोह से मिलीभगत है। उन्हें गिरोह का सरगना मोटी रकम भी देता रहा है। उनके खिलाफ चोलापुर थाने में भ्रष्टाचार का मुकदमा लिखा गया है।
सीआईडी पश्चिम बंगाल के डीआईजी ने एसटीएफ के आईजी को पिछले साल 29 जुलाई को यूपी पीएससी द्वारा आयोजित एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर आउट होने के बाबत पत्र भेजा था। कोलकाता के अशोक देव चौधरी ने भी डीजीपी को पत्र भेजकर पेपर आउट करने वाले गिरोह का भेद खोला। इस मामले की जांच के दौरान एसटीएफ वाराणसी यूनिट ने कोलकाता से अशोक देव चौधरी को बुलाकर पूछताछ की। उसने बताया कि गिरोह का सरगना कोलकाता स्थित सिक्योरिटी प्रिटिंग प्रेस का मालिक कौशिक कुमार है। यूपी लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं के पेपर उसके प्रेस में ही छपते हैं। उसने ही पिछले साल एलटी ग्रेड परीक्षा के पेपर आउट किए थे। 20-20 लाख रुपये में परीक्षा पास कराने का सौदा तय हुआ। फिर परीक्षा से एक दिन पहले 28 जुलाई को 50 अभ्यर्थियों को वाराणसी में यूपी कॉलेज के पास बुलाया गया। उन्हें 10 किलोमीटर दूर कौशल विकास केंद्र ले जाया गया। अशोक ने एसटीएफ को बताया कि कौशिक ने उसे पेपर लेकर वाराणसी भेजा था। अभ्यर्थियों को हिंदी और सामाजिक विज्ञान के सॉल्व पेपर देकर दो घंटे में याद करने के लिए कहा गया। फिर पेपर जला दिए गए थे। अशोक ने पेपर जलाते समय मोबाइल द्वारा चुपके से वीडियो बनाने के साथ ही फोटो भी खींच ली थी। परीक्षा से पहले इन 50 अभ्यर्थियों से ढाई से पांच लाख रुपये एडवांस लिए थे।
भेद खोलने वाले अशोक देव चौधरी द्वारा बताए तथ्यों की जांच से साफ हो गया कि उसकी शिकायत सही है। दो दिन पहले 27 मई को अशोक ने ही एसटीएफ को सूचना दी कि कौशिक लोक सेवा आयोग की आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट करने के सिलसिले में गिरोह के लोगों से मिलने वाराणसी गया है। एसटीएफ ने सोमवार रात उसे चोलापुर इलाके में गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसने बताया कि वह आयोग की परीक्षा नियंत्रक ने उसे आगामी परीक्षा के पेपर छापने के लिए दिया है। उसने कुबूला कि 29 जुलाई 2018 को आयोजित एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर उसने आउट करने के इरादे से ज्यादा छाप लिए थे। परीक्षा से एक दिन पहले सॉल्व पेपर अभ्यर्थियों को पढ़ाने के बाद गिरोह के रंजीत कुमार ने उसे 50 लाख रुपये दिए थे। परीक्षा परिणाम निकलने के बाद प्रति अभ्यर्थी पांच लाख रुपये के हिसाब से उसे और दिया जाना था। मगर अशोक देव चौधरी की बगावत से पूरा खेल बिगड़ गया। उसने पुलिस में शिकायत कर दी। कौशिक ने बताया कि पेपर छापने के लिए मिलने वाली धनराशि में पांच फीसद बतौर कमीशन वह परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार को देता था। बताया कि 26 मई को प्रयागराज में नए पेपर लेते वक्त उसने अंजू लता को 10 लाख रुपये नगद दिए हैं।
पेपर आउट करने वाले गिरोह से आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता की मिलीभगत साबित करने के लिए एसटीएफ के पास ठोस सुबूत हैं। गिरोह सरगना कौशिक के बयान के अलावा उससे व्हाट्स एप पर अंजू लता की बातचीत के मैसेज भी हैं। कई मैसेज ऐसे हैं जिनमें उन्होंने अशोक देव चौधरी द्वारा पुलिस में शिकायत पर चिंता जाहिर की है। परीक्षा में गड़बड़ी के बारे में एसटीएफ के पत्र और पुलिस द्वारा प्रकाशक के खिलाफ मुकदमा लिखाने की सलाह की अनदेखी करते हुए कौशिक को ही पेपर छापने का जिम्मा देने से भी अंजू लता फंस गई हैं। एसटीएफ ने इसे गिरोह बनाकर आपराधिक साजिश करते हुए पेपर आउट कर भारी लाभ कमाने और लोक हित के खिलाफ अपराध करार देते हुए चोलापुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत कई धाराओं में मुकदमा लिखाया है।
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