उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार
की गिरफ्तारी और उनका मोबाइल जब्त होने के बाद आयोग की आगामी कई परीक्षाएं
स्थगित होंगी। नौ जून को प्रस्तावित सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ) भर्ती
परीक्षा के भी टलने के आसार हैं। आयोग जल्न्द ही इस बाबत कोई निर्णय ले
सकता है।
आयोग कई प्रिंटिंग प्रेस में अलग-अलग परीक्षाओं के पेपर छपवाता है। यह
सूचना पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है। यहां तक कि प्रिंटिंग प्रेसों का
नाम भी पूरी तरह से गोपनीय रहता है। प्रिंटिंग प्रेस के बारे में केवल
परीक्षा नियंत्रक को जानकारी होती है। परीक्षा नियंत्रक का मोबाइल अब पुलिस
के कब्जे में है। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रिंटिंग प्रेसों के बारे
में गोपनीय सूचना अब सार्वजनिक हो चुकी है और आगामी सभी परीक्षाओं के पेपर
आउट होने का खतरा मंडराने लगा है।
इन परिस्थितियों में आयोग को अब नई प्रिंटिंग प्रेसों को पैनल तैयार करना होगा और इस पैनल में उन प्रिंटिंग प्रेसों को शामिल नहीं किया जाएगा, जिनके डिटेल परीक्षा नियंत्रक के मोबाइल में हैं। नौ जून को एपीओ भर्ती परीक्षा है। आयोग इस परीक्षा को स्थगित करने की तैयारी में है। जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि प्रिंटिंग प्रेसों का नया पैनल बनाना होगा। कोशिश यही होगी कि कम से कम परीक्षाएं प्रभावित हों लेकिन कुछ परीक्षाएं स्थगित हो सकती हैं।
कई अन्य परीक्षाओं पर भी संकट
आयोग की ओर से कुछ दिनों पहले आयोजित की गईं कई अन्य परीक्षाओं पर भी संकट मंडरा रहा है। समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ)-2017 की मुख्य परीक्षा और पीसीएस जे-2018 की मुख्य परीक्षा भी हो चुकी है। अब तक दोनों परीक्षाओं का परिणाम नहीं आया है। इन परीक्षाओं पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अभ्यर्थियों ने आयोग से यह बताने की मांग की है कि इन परीक्षाओं के पेपर कहां छपे। अगर पेपर उसी उसी प्रिंटिंग प्रेस में छपवाए गए, जहां एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के पेपर छपे थे तो इन परीक्षाओं पर भी आयोग को निर्णय लेना चाहिए।
सिर्फ परीक्षा नियंत्रक को मालूम, कहां छपते हैं पेपर
परीक्षाओं के पेपर कहां छपते हैं, इसकी जानकारी आयोग के अध्यक्ष और सचिव को भी नहीं होती है। यह सूचना पूरी तरह से गोपनीय होती है और केवल परीक्षा नियंत्रक को इस बारे में जानकारी होती है। जहां तक पेपर में आने वाले सवालों की बात है तो इसकी जानकारी परीक्षा नियंत्रक को भी नहीं होती है। परीक्षाओं के पेपर विशेषज्ञ तैयार करते हैं। पेपर तीन सेटों में तैयार कराए जाते हैं और तीनों विशेषज्ञ सील बंद लिफाफे में पेपर रखकर परीक्षा नियंत्रक को सौंप देते हैं। परीक्षा नियंत्रक उन लिफाफों को खोल नहीं सकता, बल्कि तीन में से कोई एक सील बंद लिफाफा प्रिंटिंग प्रेस संचालक को सौंप दिया जाता है। इसके बाद पूरी जिम्मेदारी प्रिंटिंग प्रेस की होती है। अगर पेपर लीक हुआ तो सीधे प्रिंटिंग प्रेस के खिलाफ सीधी कार्रवाई का प्रावधान है।
पीसीएस-2015 के बाद बदली पैकेजिंग व्यवस्था
पेपरों की पैकेजिंग भी अब प्रिंटिंग प्रेस में होती है। यह व्यवस्था पीसीएस-2015 के बाद लागू की गई। पीसीएस-2015 तक पेपरों की पैकेजिंग आयोग में ही होती थी। पीसीएस-2015 की प्रारंभिक परीक्षा का पहला प्रश्नपत्र लखनऊ के एक केंद्र से आउट होने के बाद आयोग ने इस व्यवस्था को बदल दिया और पैकेजिंग प्रिंटिंग प्रेस में होने लगी। हालांकि इतना बदलाव होने के बावजूद पेपर लीक के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
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इन परिस्थितियों में आयोग को अब नई प्रिंटिंग प्रेसों को पैनल तैयार करना होगा और इस पैनल में उन प्रिंटिंग प्रेसों को शामिल नहीं किया जाएगा, जिनके डिटेल परीक्षा नियंत्रक के मोबाइल में हैं। नौ जून को एपीओ भर्ती परीक्षा है। आयोग इस परीक्षा को स्थगित करने की तैयारी में है। जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि प्रिंटिंग प्रेसों का नया पैनल बनाना होगा। कोशिश यही होगी कि कम से कम परीक्षाएं प्रभावित हों लेकिन कुछ परीक्षाएं स्थगित हो सकती हैं।
कई अन्य परीक्षाओं पर भी संकट
आयोग की ओर से कुछ दिनों पहले आयोजित की गईं कई अन्य परीक्षाओं पर भी संकट मंडरा रहा है। समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ)-2017 की मुख्य परीक्षा और पीसीएस जे-2018 की मुख्य परीक्षा भी हो चुकी है। अब तक दोनों परीक्षाओं का परिणाम नहीं आया है। इन परीक्षाओं पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अभ्यर्थियों ने आयोग से यह बताने की मांग की है कि इन परीक्षाओं के पेपर कहां छपे। अगर पेपर उसी उसी प्रिंटिंग प्रेस में छपवाए गए, जहां एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के पेपर छपे थे तो इन परीक्षाओं पर भी आयोग को निर्णय लेना चाहिए।
सिर्फ परीक्षा नियंत्रक को मालूम, कहां छपते हैं पेपर
परीक्षाओं के पेपर कहां छपते हैं, इसकी जानकारी आयोग के अध्यक्ष और सचिव को भी नहीं होती है। यह सूचना पूरी तरह से गोपनीय होती है और केवल परीक्षा नियंत्रक को इस बारे में जानकारी होती है। जहां तक पेपर में आने वाले सवालों की बात है तो इसकी जानकारी परीक्षा नियंत्रक को भी नहीं होती है। परीक्षाओं के पेपर विशेषज्ञ तैयार करते हैं। पेपर तीन सेटों में तैयार कराए जाते हैं और तीनों विशेषज्ञ सील बंद लिफाफे में पेपर रखकर परीक्षा नियंत्रक को सौंप देते हैं। परीक्षा नियंत्रक उन लिफाफों को खोल नहीं सकता, बल्कि तीन में से कोई एक सील बंद लिफाफा प्रिंटिंग प्रेस संचालक को सौंप दिया जाता है। इसके बाद पूरी जिम्मेदारी प्रिंटिंग प्रेस की होती है। अगर पेपर लीक हुआ तो सीधे प्रिंटिंग प्रेस के खिलाफ सीधी कार्रवाई का प्रावधान है।
पीसीएस-2015 के बाद बदली पैकेजिंग व्यवस्था
पेपरों की पैकेजिंग भी अब प्रिंटिंग प्रेस में होती है। यह व्यवस्था पीसीएस-2015 के बाद लागू की गई। पीसीएस-2015 तक पेपरों की पैकेजिंग आयोग में ही होती थी। पीसीएस-2015 की प्रारंभिक परीक्षा का पहला प्रश्नपत्र लखनऊ के एक केंद्र से आउट होने के बाद आयोग ने इस व्यवस्था को बदल दिया और पैकेजिंग प्रिंटिंग प्रेस में होने लगी। हालांकि इतना बदलाव होने के बावजूद पेपर लीक के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
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