सरकारी प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा में फर्जीवाड़े के खेल में शक की सुई बार-बार स्कूलों की तरफ जाकर टिक रही है। नकल माफियाओं के खेल का खुलासा तो एसटीएफ जांच में ही होगा। लेकिन परीक्षा व्यवस्था की गहन पड़ताल करें तो सबसे कमजोर कड़ी वे स्कूल ही नजर आते हैं जिन्हें पेपर कराने का जिम्मा दिया गया था। परीक्षा केंद्रों में भी पुराने रिकॉर्ड को देखें तो प्राइवेट स्कूलों पर शक करने के कई कारण मिल जाएंगे।
69000 शिक्षक भर्ती 6 जनवरी 2019 को प्रदेश के 800 केंद्रों पर कराई गई। परीक्षा के लिए पेपर 4 व 5 जनवरी को जिलों में भेजे गए जहां उन्हें कोषागार के डबल लॉक में रखवाया गया था। परीक्षा केंद्रों पर सॉल्वरों की भूमिका से इनकार इसलिए भी नहीं किया जा सकता क्योंकि परीक्षा के दिन ही लखनऊ में ऐसा मामला पकड़ में आया था। 6 जनवरी 2019 को परीक्षा के दौरान लखनऊ से एसटीएफ ने नौ सॉल्वर को पकड़ा था। कानपुर नगर के दो स्कूलों से एक-एक सॉल्वर एसटीएफ ने पकड़े थे। प्रयागराज के स्कूल से भी एसटीएफ ने एक सॉल्वर पकड़ा था।
69000 शिक्षक भर्ती 6 जनवरी 2019 को प्रदेश के 800 केंद्रों पर कराई गई। परीक्षा के लिए पेपर 4 व 5 जनवरी को जिलों में भेजे गए जहां उन्हें कोषागार के डबल लॉक में रखवाया गया था। परीक्षा केंद्रों पर सॉल्वरों की भूमिका से इनकार इसलिए भी नहीं किया जा सकता क्योंकि परीक्षा के दिन ही लखनऊ में ऐसा मामला पकड़ में आया था। 6 जनवरी 2019 को परीक्षा के दौरान लखनऊ से एसटीएफ ने नौ सॉल्वर को पकड़ा था। कानपुर नगर के दो स्कूलों से एक-एक सॉल्वर एसटीएफ ने पकड़े थे। प्रयागराज के स्कूल से भी एसटीएफ ने एक सॉल्वर पकड़ा था।