69000 भर्ती: उत्तर कुंजी विवाद में निर्णय के बाद विशेषज्ञों पर कार्रवाई, परीक्षा संस्था अभी सभी प्रश्नों के जवाव को मान रही सही, UPTET 2018 में तीन विशेषज्ञों को पैनल से किया गया था बाहर

शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों पर विवाद होने के बाद भी पेपर तैयार करने वाले विशेषज्ञों पर कार्रवाई नहीं हुई है। दरअसल, परीक्षा संस्था अभी प्रश्नों के दिए गए जवाब सही मान रही है। यह जरूर है कि इस मामले में कोर्ट का आदेश आने के बाद विशेषज्ञों पर कार्रवाई हो सकती है।
इसके पहले यूपी की TET 2018 में तीन प्रश्नों के दो-दो विकल्प सहीं होने पर तीन विशेषज्ञों को काला सूची में डाला जा चुका है।

बेसिक शिक्षा की 69000 शिक्षक भर्ती को लिखित परीक्षा में पूछे गए विवादित प्रश्नों का प्रकरण इन दिनों जगजाहिर है। इन सवालों की वजह से काउंसिलिंग के एन वक्‍त भर्ती रोकनी पड़ी। सरकार को खुद डबल बेंच में जाना पड़ा है, जहां कुछ दिन में निर्णय आना है। सरकार व विभाग अन्य मुद॒दों पर जूझ रहा है लेकिन, प्रश्न तैयार करने वाले विशेषज्ञों से अब तक जवाब-तलब भी नहां किया गया है। इतना हीं नहीं इसके पहले यूपी टीईटी 2017 और 2018 के साथ ही 2019 और 68500 शिक्षक भर्ती में पूछे गए प्रश्नों के विवादित जवाब का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि यूपी टीईटी 2018 में पूछे गए प्रश्नों पर कार्रवाई कर चुके हैं, वहीं 2019 का प्रकरण अब भी कोर्ट में है। ऐसे ही

69000 भर्ती मामले में भी प्रश्नों के संबंध में निर्णय नहीं हुआ है, प्रश्नों का जवाब गलत हुए बिना कार्रवाई करना उचित नहीं है। यह जरूर है कि कोर्ट का निर्णय आने के बाद विशेषज्ञों की जिम्मेदारी तय होगी।
भर्ती संस्थान विशेषज्ञों को करता डिबार : भर्ती संस्थानों में प्रश्नों का विवाद होने पर निर्णय उलट आने पर विशेषज्ञ को काली सूची में डालता आ रहा है। UPPSC में तो विशेषज्ञ बदलने के आदेश भी हुए। शिक्षाविदों का कहना
है कि ऐसे मामलों में गलत सवाल होने पर विशेषज्ञ पर कास्ट तय होनी चाहिए और उन्हें दंडित भी वि जाए, ताकि एंसे मामलों की पु:न न आयें.

न हो सके। इस पर अब तक
संस्थान बड़ा निर्णय नहीं ले सके
इसलिए विवाद थम नहीं रहे हैं।