69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में प्रयागगज जिले के कुछ परीक्षा केंद्रों से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी चयनित हुए हैं, जबकि परीक्षा जिले के 105 केंद्रों पर हुई थी। दरअसल, परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में जमकर मनमानी हुईं, ऐसे कालेजों को केंद्र बनाया गया, जो कि नकल को लेकर कुख्यात हैं।
इन्हीं कालेजों के कुछ कमरों में ही सारा खेल हुआ और शिक्षक भर्ती के ठेकेदारों ने अपने कैंडीडेटों को अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण कराने की व्यवस्था कर दी। सोशल मीडिया पर अभ्यर्थी एसे केंद्रों की सूची वायरल कर रहे हैं लेकिन, जिम्मेदार अफसर इसका संज्ञान तक नहीं ले रहे।
तीन परीक्षा केंद्रों के सफल अभ्यर्थियों की सूची वायरल हो रही है। शिक्षक भर्ती में जिलाधिकारी के निर्देश पर केंद्रों का चयन हुआ। साथ हीं प्रश्नपत्र कोषागार से केंद्रों तक पहुंचाने व परीक्षा नकल विहीन सकुशल कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व शिक्षा महकमे की थी।
स्टेटिक मजिस्ट्रेट बने मूक दर्शक :
लिखित एग्जाम केंद्रों पर अफसरों को स्टैटिंक मजिस्ट्रेट बनाया गया था। साथ हीं प्रश्नपत्र पहुंचाने के लिए अलग टीमें लगाई गई थीं। इसके बाद भी परीक्षा में जमकर नकल हुई।
सीसीटीवी व वायस रिकॉर्डर बेमानी :
एग्जाम केंद्रों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे और वायस रिंकॉर्डर जैसे इंतजाम भी नकल रोकने में सहायक न हो सके,एग्जाम केन्द्रों पर कैमरों को सही से चलाया ही नहीं गया इसीलिए अभ्यर्थी एक दूसरे से पूछकर और परीक्षकों की सहायता से अच्छे अंक पाने के हकदार बन गए।
टीईटी में चिह्नित हो चुका कालेज संचालक
टीईटी 2019 में एक परीक्षा केंद्र का संचालक अभ्यर्थियों को नकल कराने में चिन्हित हो चुका है। उसी के कालेज में शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा भी हुई है । इसमें भी गड़बड़ियों के सुराग सोशल मीडिया में सुर्खियां बने हैं। उधर, परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से कहा गया है कि हर जिले को सकुशल परीक्षा के निर्देश थे, उसमें खामियां होने का लाभ कुछ अभ्यर्थियों ने उठाया है।
इन्हीं कालेजों के कुछ कमरों में ही सारा खेल हुआ और शिक्षक भर्ती के ठेकेदारों ने अपने कैंडीडेटों को अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण कराने की व्यवस्था कर दी। सोशल मीडिया पर अभ्यर्थी एसे केंद्रों की सूची वायरल कर रहे हैं लेकिन, जिम्मेदार अफसर इसका संज्ञान तक नहीं ले रहे।
तीन परीक्षा केंद्रों के सफल अभ्यर्थियों की सूची वायरल हो रही है। शिक्षक भर्ती में जिलाधिकारी के निर्देश पर केंद्रों का चयन हुआ। साथ हीं प्रश्नपत्र कोषागार से केंद्रों तक पहुंचाने व परीक्षा नकल विहीन सकुशल कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व शिक्षा महकमे की थी।
स्टेटिक मजिस्ट्रेट बने मूक दर्शक :
लिखित एग्जाम केंद्रों पर अफसरों को स्टैटिंक मजिस्ट्रेट बनाया गया था। साथ हीं प्रश्नपत्र पहुंचाने के लिए अलग टीमें लगाई गई थीं। इसके बाद भी परीक्षा में जमकर नकल हुई।
सीसीटीवी व वायस रिकॉर्डर बेमानी :
एग्जाम केंद्रों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे और वायस रिंकॉर्डर जैसे इंतजाम भी नकल रोकने में सहायक न हो सके,एग्जाम केन्द्रों पर कैमरों को सही से चलाया ही नहीं गया इसीलिए अभ्यर्थी एक दूसरे से पूछकर और परीक्षकों की सहायता से अच्छे अंक पाने के हकदार बन गए।
टीईटी में चिह्नित हो चुका कालेज संचालक
टीईटी 2019 में एक परीक्षा केंद्र का संचालक अभ्यर्थियों को नकल कराने में चिन्हित हो चुका है। उसी के कालेज में शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा भी हुई है । इसमें भी गड़बड़ियों के सुराग सोशल मीडिया में सुर्खियां बने हैं। उधर, परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से कहा गया है कि हर जिले को सकुशल परीक्षा के निर्देश थे, उसमें खामियां होने का लाभ कुछ अभ्यर्थियों ने उठाया है।