शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों का होगा सत्यापन, सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षकों पर नजर

लखनऊ : प्राथमिक विद्यालयों में एक ही शैक्षिक प्रमाण पत्र पर कई लोगों के नौकरी करने की बात सामने आने के बाद माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के शैक्षिक प्रपत्र की जांच के आदेश दिए गए हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक उत्तर प्रदेश शिक्षा सामान्य तृतीय अनुभाग, प्रयागराज के आदेश पर सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को संस्थान में कार्यरत शिक्षकों के प्रपत्र चार जुलाई तक कार्यालय में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।



जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि फर्जी योग्यता प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने वालों की धरपकड़ के लिए शासन स्तर पर एक एसआइटी गठित की गई है। इसी क्रम में प्रदेश सरकार की तरफ से सभी अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय (बालक) के शिक्षकों के शैक्षिक व योग्यता प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जाना है। इसके चलते लखनऊ जिले के सभी विद्यालयों को शनिवार तक जारी प्रारूप के तहत सभी शिक्षकों का ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें शिक्षक के शैक्षिक प्रमाण पत्र के पूरे ब्योरे के साथ उसकी नियुक्ति, पदोन्नति और चयन का स्रोत (प्रबंधन या बोर्ड द्वारा) तक का विवरण देना होगा।

सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षकों पर नजर

सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय व शिक्षामित्रों, अनुदेशकों की नियुक्ति में मिली गड़बड़ी के बाद अब सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों पर शासन की नजर है। इसके लिए शिक्षकों के सभी प्रमाणपत्र सत्यापन के आदेश जारी किए गए हैं। इससे विभाग में हड़कंप मचा है। प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के खिलाफ बेसिक शिक्षा विभाग अभियान पहले से चल रहा है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 119 ऐसे शिक्षक मिले जिनमें एक ही नाम व पैन नंबर से दो से तीन जगह से वेतन निकाल रहे थे। इसी तरह 24 ऐसे प्रकरण मिले जिसमें एक ही बैंक खाते पर एक से ज्यादा शिक्षकों का वेतन निकला। वित्त नियंत्रक ने सभी जिलों के वित्त व लेखाधिकारी को पत्र भेज कर दो दिन में रिपोर्ट निदेशालय भेजने के आदेश दिए हैं। अब मानव संपदा पोर्टल और पीएफएमएस इसीलिए लागू किया जा रहा है ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े पकड़ में आ सकें।