बेसिक शिक्षा विभाग में पीएचडी पास, बजा रहे घंटी, पिला रहे पानी:- सेवा नियमावली नहीं, अब प्रक्रिया तेज

पूर्व माध्यमिक विद्यालय इंदरवर बंजर कैम्पियरगंज जिला गोरखपुर में घंटी बजाने व शिक्षकों को पानी पिलाने वाले शिवकुमार तिवारी अनुचर हैं। इन्होंने मेधा के दम पर एमए, बीएड और पीएचडी की है, इसी स्कूल में पढ़ा रहे अन्य शिक्षकों के पास भी ऐसी डिग्रियां नहीं हैं।
अनुचर इसलिए बने क्योंकि वे मृतक आश्रित हैं। शिक्षक इसलिए नहीं बन सके कि वे पहले बीटीसी अब डीएलएड व टीईटी आदि नहीं कर सके। विशेष योग्यता रखते हुए अनुचर पद पर नियुक्त शिवकुमार अकेले नहीं है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय खमहौरा जिला जौनपुर के अनुचर प्रेम शंकर पांडेय भी पीएचडी हैं। ऐसे ही रामपुर जिले में तैनात मोहम्मद वकास खान तो बीटीसी और एमबीए जैसे कोर्स करके इसी पद पर नियुक्त हैं। वकास शिक्षक इसलिए नहीं बन सके कि वे टीईटी उत्तीर्ण नहीं है।


बेसिक शिक्षा महकमे में इन दिनों शिक्षकों की योग्यता प्रमाणपत्रों की जांच हो रही है। ऐसे शिक्षक खोजे जा रहे हैं, जो गलत अंक या अन्य प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी कर रहे हैं। पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में तैनात अनुचर निराश हैं। वे योग्य तो हैं लेकिन, तय डिग्री व डिप्लोमा उनके पास नहीं है। बेसिक शिक्षा महकमे में 1997 के पहले किसी भी शिक्षक या फिर शिक्षणोत्तर कर्मचारी सेवाकाल में मौत होने पर आश्रित के इंटर उत्तीर्ण होने पर अध्यापक पद पर नियुक्ति मिल जाती थी, इससे कम पढ़े को अनुचर बनाया जाता था। 1997 के बाद से शिक्षक पद पर नियुक्ति पाने के लिए स्नातक होना जरूरी था।

27 जुलाई 2011 को प्रदेश में शिक्षा अधिकार अधिनियम प्रभावी हुआ, तब से आश्रितों के लिए शिक्षक बनने की योग्यता स्नातक के साथ बीटीसी व टीईटी कर दी गई। 10 अक्टूबर 2019 को इसमें बीएड भी शामिल हो गया। इसके अलावा किसी भी डिग्री में अनुचर ही बनना है। 2011 के बाद से शिक्षा महकमे में उम्दा योग्यता वाले अनुचर ही बन रहे हैं।

योगी सरकार व अपर मुख्य सचिव बेसिक रेणुका कुमार ने हमारी मांगों पर सहमति जताई है। 2019 में बैठक हो चुकी है और अब कार्मिक व वित्त विभाग ने भी रजामंदी दी है। हमारी मांग है कि उच्च योग्यता वालों को उच्चीकृत किया जाए।

सेवा नियमावली नहीं, अब प्रक्रिया तेज

विभाग में इनकी कोई सेवा नियमावली नहीं है, 2015 के बाद से ऐसे आश्रित उच्च पदों की मांग कर रहे हैं। पहले उनकी अनसुनी हुई और अब योगी सरकार इस पर गंभीर है। अपर शिक्षा निदेशक बेसिक शिविर कार्यालय डा. सुत्ता सिंह परिषद से जनवरी 2020 में ही इस संबंध में प्रस्ताव मांग चुकी हैं।