विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों को प्रमोट करने के फॉर्मूले पर मंथन, सीएम अध्यक्षता में हुई बैठक

उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं निरस्त कर छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने के मामले में गुरुवार को कोई शासनादेश जारी नहीं हो सका। वार्षिक और सेमेस्टर प्रणाली वाले पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले छात्रों को परीक्षाएं कराए बगैर अगली कक्षाओं और अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत करने का फॉर्मूला बनाने पर मंथन जारी है। कमेटी के प्रस्तावों के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई सर्वमान्य तरीका तलाशने में जुटे हैं।



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को उनके सरकारी आवास पर हुई बैठक में ही परीक्षाएं निरस्त करने का फैसला ले लिया गया था। परीक्षाओं के संबंध में गठित चार कुलपतियों की कमेटी ने परीक्षाएं निरस्त कर छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने की सिफारिश की थी। बैठक में यह भी तय किया गया था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की गाइड लाइन देखने के बाद छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने का फारमूला तय किया जाएगा। कुलपतियों की कमेटी ने वार्षिक व सेमेस्टर प्रणाली के तहत होने वाली परीक्षाओं के संबंध में अपनी स्पष्ट राय दी है।

यह हैं सुझाव
सूत्रों के अनुसार आंतरिक मूल्यांकन और पिछली कक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रोन्नत करने का फैसला लिया जा सकता है। हालांकि इसमें एक पेंच यह भी है कि कुछ राज्य विश्वविद्यालयों में कई प्रश्नपत्रों की परीक्षाएं हो चुकी हैं। ऐसे में एक प्रस्ताव यह भी है कि जिन प्रश्नपत्रों की परीक्षा हो चुकी है, उनका मूल्यांकन करा लिया जाए। फिर कोरोना संकट को देखते हुए मूल्यांकन कराना भी आसान नहीं है। खुद शिक्षक ही इसका विरोध कर रहे हैं। इसी तरह कई विश्वविद्यालयों में आंतरिक मूल्यांकन की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में केवल पिछली कक्षा या सेमेस्टर में प्राप्त अंकों के आधार पर ही अंक देकर अगली कक्षा या सेमेस्टर में प्रोन्नत करना होगा। अंतिम वर्ष के छात्रों को पिछले दो वर्षों की परीक्षा में प्राप्त अंकों के औसत के आधार पर अंक दिए जा सकते हैं। प्रथम वर्ष के छात्रों को ऐसे ही प्रोन्नत किया जा सकता है, उनके अंकों का निर्धारण द्वितीय वर्ष में मिलने वाले अंकों के आधार पर किया जा सकता है। ऐसी संभावना है कि एक-दो दिनों में विभाग किसी नतीजे पर पहुंच जाएगा।