लखनऊ: यूपी में पिछले कई वर्षो से संस्कृत भाषा की हो रही उपेक्षा के बाद अब बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। भाजपा सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसके प्रचार और प्रसार के लिए ऐसे काम कर रहे हैं जिससे आने वाली समय में संस्कृत भाषा के विकास को एक नई दिशा मिलेगी।
पिछले कई दशकों में यूपी की सरकारों ने अपने कार्यकाल के दौरान दावे तो बड़े-बड़े किए पर उनका कोई काम जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं दिया। पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी साढे तीन साल की सरकार में ऐसे काम किए जो पूर्व की सरकारें नहीं कर सकी।
संस्कृत बोलने और जानने वाले लोगों तक सरकार की उपलब्धियां पहुंचें
संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए पहली बार सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने सरकारी प्रेसनोट तक जारी करने का काम शुरू किया है। इससे पहले सरकारी प्रेस नोट केवल त्रिभाषा हिंदी-अंग्रेजी-उर्दू में जारी किए जाते रहे हैं। प्रदेश सरकार चाहती है कि संस्कृत बोलने और जानने वाले लोगों तक सरकार की उपलब्धियां पहुंचें।
उन्होंने संस्कृत भाषा के शिक्षकों की कमी को शीघ्र ही पूरा करने का निर्देश दिया है
इस साल अक्टूबर में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में संस्कृत शिक्षा की दशा सुधारने के लिए संस्कृत निदेशालय बनाने को कहा। इसके अलावा सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर स्थायी भर्ती होने तक संविदा पर शिक्षक रखने को भी कहा। योगी आदित्यनाथ का तकनीकी शिक्षा के साथ ही अब संस्कृत भाषा की शिक्षा के विस्तार पर भी जोर है। उन्होंने संस्कृत भाषा के शिक्षकों की कमी को शीघ्र ही पूरा करने का निर्देश दिया है। इसके लिए मानदेय पर भी शिक्षकों की तैनाती का आदेश दिया है।
इसके अलावा योगी सरकार ने संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए यूपी संस्कृत संस्थान और राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद के साथ मिलकर प्रदेश के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण शुरू करने का काम किया है।
कुछ महीनों पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजीपुर के जखनियां स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ में छात्र के रूप में अध्यनरत आशुतोष दुबे (11 वर्ष) को यजुर्वेद कंठस्थ होने के कारण उससे भेंट कर सम्मानित भी किया है।
शिक्षकों की कमी को देखते हुए योगी सरकार संस्कृत की पढ़ाई पर जोर दे रही है
प्रदेश में संस्कृत के शिक्षकों की कमी को देखते हुए योगी सरकार संस्कृत की पढ़ाई पर जोर दे रही है। इसी के चलते प्राइमरी और माध्यमिक दोनों स्कूलों में संस्कृत के शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव है। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि माध्यमिक और प्राइमरी में संस्कृत शिक्षकों के कितने पदों पर भर्ती की जाएगी।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोडना चाहती है। सरकार संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए अग्रसर है। पिछले साल भी उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा 72 जिलों के संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर लगाए गए थे। इस वर्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा राज्य के शेष विद्यालयों को कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा। जिन संस्कृत स्कूलों में छात्रों की संख्या अधिक है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर कंप्यूटर मिलेंगे और संस्कृत शिक्षा परिषद ने ऐसे स्कूलों की सूची तैयार करना शुरू कर दिया है।