गोरखपुर। शिक्षकों की वार्षिक गोपनीय आख्या के लिए निर्धारित बिंदुओं को लेकर असंतोष पनप रहा है। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि जो मानक शासन की ओर से तय किए हैं, वे अव्यावहारिक हैं। इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
इस संबंध में उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को संबोधित नौ सूत्री ज्ञापन डीएम को सौंपा। जिलाध्यक्ष संजीव कुमार राय ने बताया कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से जारी निर्देश में नौ मानक तय किए गए हैं। सब से अधिक अव्यावहारिक मानक प्रधानाध्यापकों के लिए बनाया गया है। इसमें ऑपरेशन कायाकल्प की अवस्थापना, सुविधाओं के लिए प्रधानाध्यापकों को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया गया है।
इसके लिए दस प्रतिशत अंक तय हैं जबकि यह कार्य ग्रामप्रधान, खंड विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी के स्तर पर कराया जाना है। प्रधानाध्यापक का कार्य अधूरे कार्यों की सूचना देने तक सीमित है।
जिलामंत्री वाल्मीकि कुमार सिंह ने कहा कि इसी तरह छात्रों की उपस्थिति, दीक्षा पोर्टल का उपयोग, अभिभावकों की बैठकों में उपस्थिति आदि कार्यों के लिए भी शिक्षकों को जिम्मेदार बनाया गया है। वास्तव में यह सभी चीजें अभिभावकों की सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करती हैं।
प्रांतीय संयुक्त मंत्री अरविंद मित्तल ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने, कैशलेस चिकित्सा सुविधा, ग्रीष्मावकाश समाप्त कर उपार्जित अवकाश प्रदान किए जाने सहित नौ सूत्री मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा गया है। इस दौरान जिला कोषाध्यक्ष शैलेश राय आदि मौजूद रहे।