माध्यमिक विद्यालयों में 31 मार्च को खाली हो जाएंगे 500 से अधिक प्रधानाचार्यों के पद

 प्रयागराज। प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में चालू शैक्षिक सत्र के अंतिम दिन 31 मार्च को 500 से अधिक प्रधानाचार्यों के पद खाली हो जाएंगे। एक साथ इतने अधिक प्रधानाचार्यों के अवकाश ग्रहण करने से पहले से पटरी से उतरी माध्यमिक शिक्षा की हालत आगे और खराब होने वाली है। प्रधानाचार्यों के लगातार अवकाश ग्रहण

करने के बाद भी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 2011 एवं 2013 में विज्ञापित प्रधानाचार्यों के पदों पर भर्ती पूरी नहीं कर सका है। ऐसे में प्रदेश के अधिकांश माध्यमिक विद्यालय कार्यवाहकों के भरोसे जाने वाले हैं।

प्रदेश में 2017 में नई सरकार के गठन के बाद एडेड माध्यमिक विद्यालयों में खाली शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों के पदों को भरने के लिए कोई पहल नहीं की गई। 2017 में नई सरकार के गठन के बाद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का पुनर्गठन किया गया। पुनर्गठन के बाद से चयन बोर्ड लगातार पूर्व में घोषित शिक्षक भर्ती के साक्षात्कार पूरे करके उनके परिणाम जारी करने में लगा है, 2016 के बाद से कोई नई भर्ती घोषित नहीं की गई। शिक्षक भर्ती के साथ ही प्रधानाचार्यों के पदों पर पूर्व में हुए साक्षात्कार के आधार पर 2011 में घोषित प्रधानाचार्यों के छह मंडल के छोड़कर शेष भर्ती पूरी कर ली गई। चयन बोर्ड अभी 2011 में घोषित प्रधानाचार्य भर्ती में छह मंडल का परिणाम घोषित नहीं कर सका है।

अटेवा पेंशन के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. हरि प्रकाश यादव का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी चयन बोर्ड शेष छह मंडल का प्रधानाचार्य भर्ती का परिणाम घोषित नहीं कर सका है। 2013 मे विज्ञापित प्रधानाचार्य के 699 पदों के लिए अभी तक चयन बोर्ड की ओर से कोई तैयारी नहीं की गई है। 2011 एवं 2013 की भर्ती पूरी करने के बाद चयन बोर्ड 2013 के खाली हुए प्रधानाचार्यो के हजारों खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकेगा। उन्होंने प्रदेश सरकर से पूर्व में घोषित प्रधानाचार्य के पदों के साक्षात्कार पूरे करने के साथ नई भर्ती घोषित करने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के प्रवक्ता एसपी तिवारी का कहना है कि अकेले प्रयागराज में ही 17 विद्यालयों में प्रधानाचार्य अवकाश ग्रहण कर रहे हैं। इसी प्रकार प्रदेश के सभी जिलों में प्रधानाचार्य अवकाश ग्रहण कर रहे हें। उनका कहना है कि चयन बोर्ड ने भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई तो जल्द ही शिक्षकों के साथ प्रधानाचार्यों के बिना स्कूलों को संचालित करना कठिन हो जाएगा। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश विद्यालयों में प्रधानाचार्यों के साथ ही प्रमुख विषयों के शिक्षकों के पद खाली हैं।