रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर इस तरह की दिक्कतों के लिए नकदी का चलन बढ़ने को वजह माना गया है। इसमें सुझाव दिए गए हैं कि अगर नकदी की जगह लोगों के खाते में पैसे भेजे जाएंगे तो उनमें खाता इस्तेमाल करने की आदत बढ़ेगी। वे बैंकिंग व्यवस्था की तरफ भी अग्रसर होंगे।
वजह क्या
● 50% ने कहा-वित्तीय संस्थान काफी दूर हैं। इनमें उनका भरोसा नहीं है। ●
● 50% ने कहा कि उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं कि खाता इस्तेमाल करें।
● 30% की दिक्कत है कि उन्हें खाता इस्तेमाल करने में मुश्किल आती है।
● कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि उन्हें बैंक खाते की जरूरत नहीं है।
● अप्रैल 2022 तक 45 करोड़ लोग बैंकिंग सिस्टम में आए
नई दिल्ली। देश में भले ही सरकारी प्रयासों से लोगों के बैंक खाते खुलवाए जा रहे हों, लेकिन अभी भी उन्हें ऐसी सेवाओं से तालमेल बैठाने में वक्त लग रहा है। विश्व बैंक समूह की ग्लोबल फिनडेक्स डाटाबेस 2021 रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील देशों में सबसे ज्यादा भारत में निष्क्रिय बैंक खाते हैं। इनमें महिला खाताधारकों की तादाद सबसे ज्यादा है। इसके पीछे नकदी पर ज्यादा निर्भरता को वजह माना जा रहा है।
भारत में पिछले एक साल में करीब एक तिहाई खाताधारकों के नाम निष्क्रिय खाते रहे हैं। देश में ऐसे खाते सबसे ज्यादा हैं जो लोगों के नाम पर खोले गए हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इनमें पिछले एक साल में न तो कोई रकम जमा हुई न निकासी हुई। डिजिटल लेन-देन भी नहीं हुआ है। भारत में ऐसे खातों की संख्या 35 फीसदी है जो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के औसत के मुकाबले 7 गुना ज्यादा है।
जनधन भी बड़ी वजह: रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में ऐसे खातों की बड़ी तादाद होने की एक वजह वहां सरकार की तरफ से खोले गए जनधन खाते भी हैं। यह योजना अगस्त 2014 में शुरु हुई थी और अप्रैल 2022 तक 45 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम में लाया गया।