एससी-एसटी और ओबीसी के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र आरक्षण को खत्म किए बिना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को पहली बार सामान्य वर्ग की 50 प्रतिशत सीटों में से दाखिले और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को यह जानकारी दी।
- वायरल होने के बाद टीचर Vishakha Tripathi पहला इंटरव्यू, जानिए क्या हुआ था, देखें
- राजकीय महाविद्यालयों में लिपिक भर्ती परीक्षा 25 को
- सरकारी कर्मचारी को तीन माह से ज्यादा सस्पेंड रखना गलत, हाईकोर्ट ने दिया इंस्पेक्टर के सस्पेंशन पर महत्वपूर्ण आदेश
- 68500 स्कूल आवंटन: वाराणसी जनपद के काउंसलिंग हेतु स्कूलों की लिस्ट हुई जारी
- बड़ी कार्रवाई: 45 परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का रोका वेतन, जानें क्या है मामला
ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले 103वें संविधान संशोधन का जोरदार बचाव करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि इसे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत कोटे में हस्तक्षेप किए बिना दिया गया है। हालांकि, तमिलनाडु ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि वर्गीकरण का आधार आर्थिक मानदंड नहीं हो सकता है।