बहुत ही उम्दा आदेश 👌👌ऐसे आदेश हमेशा अपने पास रखें।। वक्त पर काम आते हैं।

 बहुत ही उम्दा आदेश 👌👌ऐसे आदेश हमेशा अपने पास रखें।। वक्त पर काम आते हैं।


प्रायः देखा जा रहा है कि जनपद सम्भल के कतिपय कार्यालयाध्यक्ष / विभागाध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों के वेतन आहरण पर रोक लगा दी जाती है और कुछ समय बाद चेतावनी / बिना किसी दण्ड आदि के रोक हटा दी जाती है, जो राजकोषीय / शासकीय हित में उचित नहीं है। इस सम्बन्ध में शासनादेश संख्या 2352/79-5-2012-1(26)/2012 दिनांक 23 जुलाई, 2012 के पैरा-9 में स्पष्ट उल्लेख है कि "वेतन या वेतन वृद्धि रोकना अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया से शासित होता है, अतः जब तक स्थापित

नियमों के अधीन औपचारिक आदेश निर्गत न हों, किसी भी कार्मिक के वेतन अथवा वेतन वृद्धि को रोका नहीं जायेगा, अन्यथा यह दायित्व निर्धारण का विषय होगा। नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की समस्त प्रकिया पूर्ण किये जाने के पश्चात ही वेतन अथवा वेतन वृद्धि रोकी जायेगी और ऐसी कार्यवाही अत्यन्त गम्भीर प्रकरण में ही की जायेगी। पुनः बल दिया जाता है कि शासन के कार्मिक विभाग द्वारा निलम्बन एवं अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अधीन एवं नियमित प्रपत्रों आदि पर ही कार्यवाही की जाये, अन्यथा कार्यवाही करने वाले अधिकारी के विरुद्ध भी नियम विरुद्ध कार्य करने की कार्यवाही की जायेगी।

इसी क्रम में कार्मिक विभाग के शासनादेश संख्या 08/2022/725/सैंतालीस/क-1-2022/13(2)/2022 दिनांक 19.07.2022 के निषेधात्मक निर्देश के बिन्दु (4) में उल्लेख है कि "चेतावनी नियम-3 में उल्लिखित शास्तियों में शामिल नहीं है, अतः चेतावनी देते हुए विभागीय जाँच (नियम-7) या (नियम-10) समाप्त किया जाना नियम संगत नहीं है, लेकिन जनपद सम्भल में अधिकांश कार्यालयों द्वारा उक्त शासनादेशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।

उक्त के कम में यह भी स्पष्ट करना है कि यदि किसी कर्मचारी की नियुक्ति विवादित नहीं है और उसकी उपस्थिति भी प्रमाणित है, फिर भी उसका वेतन रोका जा सकता हो ऐसा कोई विभागीय / वित्तीय नियम / शासनादेश अधोहस्ताक्षरी के संज्ञान में नहीं है। यदि इस प्रकार के वेतन आहरण पर रोक सम्बन्धी आदेश को सम्बन्धित कर्मचारी द्वारा किसी अपीलीय अधिकारी/माननीय न्यायालय में चुनौती दी जाती है और वहां से उस कर्मचारी के रोके गये वेतन पर ब्याज सहित भुगतान के आदेश प्राप्त होते है, तो वेतन पर इस ब्याज के भुगतान हेतु भी विभागीय स्तर पर अधोहस्ताक्षरी के संज्ञान में कोई व्यवस्था नहीं है। अतः ऐसी स्थिति में विभाग को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जो राजकोषीय / शासकीय हित में

उचित नहीं है।

उक्त विभागीय नियम / शासनादेशों के कम में समस्त कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी आदि से अपेक्षा है कि ऐसे आदेशों से बचा जाये जो भविष्य में विभाग के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकते हैं।

नोटः- यदि किसी कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी आदि के पास उक्त से अन्यथा कोई ऐसा विभागीय नियम / शासनादेश उपलब्ध हो जिसके आलोक में वे किसी कार्मिक (जिसकी नियुक्ति विवाद रहित है व उपस्थिति भी प्रमाणित है) के वेतन आहरण पर रोक लगा सकते हैं तो उस विभागीय नियम / शासनादेश से कोषागार सम्भल को भी अवगत कराने का कष्ट करें ताकि उसी अनुसार अग्रेत्तर कार्यवाही की जा सके