लखनऊ। विधान परिषद सभापति
के निर्देश पर बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षकों की समस्याओं पर नेता सदन व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की अध्यक्षता में शनिवार शाम को बैठक हुई। इसमें तदर्थ शिक्षकों के वेतन, तैनाती व शिक्षामित्रों के मानदेय मामले में सकारात्मक निर्णय लेने पर सहमति बनी।
बैठक में शिक्षक विधायक राज बहादुर सिंह चंदेल व स्नातक विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों (एडेड कॉलेजों) के तदर्थ शिक्षकों के संबंध में 9 नवंबर 2023 के आदेश को वापस लेने की बात कही। कहा कि इससे सरकार पर अलग से वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
ऐसे में इस मुद्दे पर एक माह के अंदर निर्णय लेने की सहमति बनी। बैठक में 22 मार्च 2016 के आदेश के तहत विनियमित हुए शिक्षकों को
पेंशन नहीं देने का मुद्दा उठाया। शिक्षक विधायक ने कहा कि इस पर तदर्थ, अर्हकारी सेवाएं जोड़ने के लिए कहा गया पर नहीं किया गया। उप मुख्यमंत्री ने इसका कारण पूछा। इस पर भी एक महीने में निर्णय देने पर सहमति बनी।
बैठक में शिक्षक नेताओं ने वर्ष 1981 से 2020 तक 40000 शिक्षकों-कर्मचारियों की विजिलेंस (सतर्कता) जांच का मुद्दा उठाया। इस पर कहा गया कि जिसकी शिकायत होती है, उसे बुलाकर पूछा जाए। अनावश्यक सभी शिक्षक कर्मचारियों को परेशान न किया
जाए। एमएलसी ने बताया कि राज्य शिक्षा सेवा चयन आयोग में सेवा सुरक्षा, दंड प्रक्रिया, निलंबन, अनुमोदन की नियमावली नहीं बनी। इस पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि यह नियमावली बन रही है।
बैठक में परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों व अनुदेशकों का हर साल महंगाई के अनुसार मानदेय बढ़ाने का मुद्दा उठाया गया। काफी चर्चा के बाद इसके लिए फॉर्मूला तैयार करने व निर्णय लेने पर सहमति बनी। बैठक में शिक्षक विधायक श्रीचंद शर्मा, ध्रुव कुमार त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।