कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में अंशदान से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। इन बदलावों के बाद लोग अपने सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रख कर सेवानिवृत्ति के बाद अच्छी पेंशन पाने के लिए ज्यादा पैसा ईपीएफओ खाते में जमा कर पाएंगे।
इसके साथ ही, लोग सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त मिलने वाली धनराशि को पेंशन के तौर पर परिवर्तित करा पाएंगे। इसके अतिरिक्त कई तरह बदलाव की तैयारी है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की मंशा है कि लोग अपनी इच्छा एवं पैसे की उपलब्धता होने पर अधिक पैसा अपने पीएफ खाते में जमा कराएं। इसके लिए नियमों में छूट दी जानी चाहिए। पीएफ खाते में जमा धनराशि पर मिलने वाले सालाना ब्याज पर आयकर की छूट सीमा को भी बढ़ाया जाए जिससे कि लोग ईपीएफओ में पैसा निवेश के लिए आकर्षित हों। इससे दो तरह के लाभ हो सकेंगे। नंबर एक, ईपीएफओ से जुड़े खाताधारक भविष्य में एवं सेवानिवृत्ति पर अच्छी पेंशन पाने के हकदार होंगे। उदाहरण के लिए ईपीएफओ वर्तमान में जमा धनराशि पर करीब 8.5 ़फीसदी की सालाना ब्याज देता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अपने खाते में नौकरी के दौरान 50 लाख रुपए जमा कर देता है तो उसे मौजूदा ब्याज के हिसाब से सालाना 4.25 लाख रुपए पेंशन के तौर पर मिल सकेंगे। दूसरा, नियमों में ढील दिए जाने के बाद सरकार के पास एक बड़ी धनराशि जमा हो सकेगी, जिसका इस्तेमाल सरकार अपने हिसाब से कर पाएगी।
● लोगों को रिटायरमेंट के समय एकमुश्त पैसे की जरूरत नहीं तो वह पेंशन के तौर पर परिवर्तित कर पाएंगे
● नौकरी के दौरान मासिक अंशदान के अतिरिक्त पैसे की उपलब्धता होने एकमुश्त भी खाते में जमा कर पाएंगे
● सेवानिवृत्ति के बाद कुछ समय तक पेंशन की आवश्यकता नहीं तो उसका भी विकल्प दिया जाएगा। इतने समय तक चक्रवर्ती ब्याज मिलता रहेगा
● ईपीएफओ की सेवा को पहले से बेहतर बनाने और आसान बनाने की तैयारी
वित्त मंत्रालय से चर्चा के बाद होगा अंतिम फैसला
इन सारे बदलावों के लिए वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलना भी जरूरी है क्योंकि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय चाहता है कि ईपीएफओ खाते में जमा धनराशि से सालाना प्राप्त होने वाले ब्याज पर मिलने वाली आयकर छूट की सीमा को बढ़ाया जाए। ऐसा करने से लोग अपनी ईपीएफओ खाते में ज्यादा अंशदान करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। वर्तमान में ढाई लाख सालाना के जमा पर ब्याज पर कर छूट प्रदान की जाती है। ऐसे में कर छूट सीमा को बढ़ाया जाना बेहद जरूरी है।