द्वितीय बैच के प्रशिक्षु साथियों,
मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है , जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!!!!
आज मैं और दीप जी लखनऊ ने रणनीति बनाई कि केवल एक महत्वपूर्ण मुद्दा मौलिक नियुक्ति को मुख्य बिंदु को बनाते हुए ज्ञापन देना हैं क्योंकि हमारा एक-एक दिन कीमती हैं।
मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है , जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!!!!
आज मैं और दीप जी लखनऊ ने रणनीति बनाई कि केवल एक महत्वपूर्ण मुद्दा मौलिक नियुक्ति को मुख्य बिंदु को बनाते हुए ज्ञापन देना हैं क्योंकि हमारा एक-एक दिन कीमती हैं।