वर्ष 2010 से अब तक नियुक्ति वाले शिक्षकों के दस्तावेजों की होगी जांच
बदायूं। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल कर नौकरी कर रहे वर्ष 2010 से अब तक बेसिक शिक्षकों के अभिलेखों की जांच शासन स्तर से शुरू कराई गई है। जिला स्तर पर अलग से उनके अभिलेखों की जांच विशेष वाहक से की जाएगी। वहीं शासन अपने स्तर से भी जांच कराएगा। प्रशिक्षु शिक्षकों के अभिलेखों की जांच डायट प्रशासन खुद करेगा। शासन ने विभागीय अधिकारियों से सभी का ब्योरा तलब किया है।
शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान तमाम स्थानों पर फर्जी अभिलेख मिल रहे हैं। नियुक्तियों में पारदर्शिता रहे और फर्जी डिग्री के सहारे शिक्षक बनने वालों पर शिकंजा कस सके, इसके लिए शासन बेहद गंभीर हुआ है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2010 से लेकर अब तक जिन शिक्षकों ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय की डिग्री लगाकर नौकरी हासिल की है, उनके अभिलेखों की बारीकी से जांच कराई जाएगी। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राचार्य आनंद प्रकाश शर्मा ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि शासन अपने स्तर से संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के अभिलेखों की जांच करा रहा है। जिला स्तर पर भी विशेष वाहक से संपूर्णानंद की डिग्रियों की जांच पड़ताल की जाएगी। चाहे शिक्षक बन चुके हों या फिर शिक्षामित्र से शिक्षक के पद पर समायोजित हुए हों। ऐसे सभी शिक्षकों का ब्योरा बीएसए से मांगा गया है। प्राचार्य ने बताया कि प्रशिक्षु शिक्षकों में जो भी संपूर्णानंद वाले हैं, उनका ब्योरा डायट उपलब्ध कराएगा।
शिक्षामित्र के दस्तावेज हो चुके हैं अलग
बदायूं। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने वाले शिक्षामित्र से शिक्षक के पद पर समायोजित होने वालों के दस्तावेज डायट प्रशासन पहले ही अलग कर चुका है। ऐसे शिक्षामित्रों की संख्या पचास से अधिक बताई जा रही है। डायट प्रशासन स्वयं उनके अभिलेखों का सत्यापन करा रहा है। बता दें कि तीन-चार शिक्षामित्रों के अभिलेख फर्जी पाए गए थे। इसी वजह से संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने वालों के दस्तावेज अलग किए गए हैं।
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बदायूं। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल कर नौकरी कर रहे वर्ष 2010 से अब तक बेसिक शिक्षकों के अभिलेखों की जांच शासन स्तर से शुरू कराई गई है। जिला स्तर पर अलग से उनके अभिलेखों की जांच विशेष वाहक से की जाएगी। वहीं शासन अपने स्तर से भी जांच कराएगा। प्रशिक्षु शिक्षकों के अभिलेखों की जांच डायट प्रशासन खुद करेगा। शासन ने विभागीय अधिकारियों से सभी का ब्योरा तलब किया है।
शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान तमाम स्थानों पर फर्जी अभिलेख मिल रहे हैं। नियुक्तियों में पारदर्शिता रहे और फर्जी डिग्री के सहारे शिक्षक बनने वालों पर शिकंजा कस सके, इसके लिए शासन बेहद गंभीर हुआ है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2010 से लेकर अब तक जिन शिक्षकों ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय की डिग्री लगाकर नौकरी हासिल की है, उनके अभिलेखों की बारीकी से जांच कराई जाएगी। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राचार्य आनंद प्रकाश शर्मा ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि शासन अपने स्तर से संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के अभिलेखों की जांच करा रहा है। जिला स्तर पर भी विशेष वाहक से संपूर्णानंद की डिग्रियों की जांच पड़ताल की जाएगी। चाहे शिक्षक बन चुके हों या फिर शिक्षामित्र से शिक्षक के पद पर समायोजित हुए हों। ऐसे सभी शिक्षकों का ब्योरा बीएसए से मांगा गया है। प्राचार्य ने बताया कि प्रशिक्षु शिक्षकों में जो भी संपूर्णानंद वाले हैं, उनका ब्योरा डायट उपलब्ध कराएगा।
शिक्षामित्र के दस्तावेज हो चुके हैं अलग
बदायूं। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने वाले शिक्षामित्र से शिक्षक के पद पर समायोजित होने वालों के दस्तावेज डायट प्रशासन पहले ही अलग कर चुका है। ऐसे शिक्षामित्रों की संख्या पचास से अधिक बताई जा रही है। डायट प्रशासन स्वयं उनके अभिलेखों का सत्यापन करा रहा है। बता दें कि तीन-चार शिक्षामित्रों के अभिलेख फर्जी पाए गए थे। इसी वजह से संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने वालों के दस्तावेज अलग किए गए हैं।
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