उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में निजाम जरूर बदल गया है लेकिन यक्ष प्रश्न
यह है कि क्या वह फैसले लिए जा सकेंगे, जिनकी मांग अरसे से उठती रही है।
बीते ढाई साल से परीक्षा की प्रक्रिया से लेकर पाठ्यक्रम निर्धारण तक
को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं और इनमें आमूलचूल बदलाव के बगैर आयोग
की खोई प्रतिष्ठा वापस लाना मुश्किल ही होगा। फिलहाल प्रतियोगी उम्मीद से भरे हुए हैं तो तमाम आशंकाएं भी उनके इर्द-गिर्द मंडरा रही हैं।
प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती संस्था विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है। आयोग के अध्यक्ष पद से अनिल यादव को हटाने की अदालती लड़ाई ने उन सारे मुद्दों को पीछे धकेल दिया है जो प्रतियोगियों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। पीसीएस जैसी बड़ी परीक्षा में स्केलिंग की प्रक्रिया प्रतियोगियों को कभी आश्वस्त नहीं कर सकी। विषय विशेषज्ञों की क्षमताओं को लेकर भी सवाल खड़े हुए। इसी का परिणाम था कि पीसीएस-जे की प्रारंभिक परीक्षा में कई सवालों के उत्तर गलत पाए गए और जब विशेषज्ञों ने उनका परीक्षण किया तो उन्होंने भी गलत फैसले किए। पीसीएस-प्री में तो ऐसे सवाल भी पूछे गए जो पहले की परीक्षाओं में पूछे जा चुके थे। उनके उत्तर भी अलग-अलग बताए गए। आयोग में इस बाबत सैकड़ों शिकायतें भेजी गई थीं लेकिन अनिल यादव के समय में किसी ने उनका जवाब देने की जरूरत नहीं समझी थी। ऐसे ही ओपीटी यानी वन टाइम पासवर्ड को खत्म कराने का मामला है। इसके तहत युवा सिर्फ अपने ही नंबर जान सकता है, दूसरे के नहीं।
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की खोई प्रतिष्ठा वापस लाना मुश्किल ही होगा। फिलहाल प्रतियोगी उम्मीद से भरे हुए हैं तो तमाम आशंकाएं भी उनके इर्द-गिर्द मंडरा रही हैं।
प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती संस्था विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है। आयोग के अध्यक्ष पद से अनिल यादव को हटाने की अदालती लड़ाई ने उन सारे मुद्दों को पीछे धकेल दिया है जो प्रतियोगियों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। पीसीएस जैसी बड़ी परीक्षा में स्केलिंग की प्रक्रिया प्रतियोगियों को कभी आश्वस्त नहीं कर सकी। विषय विशेषज्ञों की क्षमताओं को लेकर भी सवाल खड़े हुए। इसी का परिणाम था कि पीसीएस-जे की प्रारंभिक परीक्षा में कई सवालों के उत्तर गलत पाए गए और जब विशेषज्ञों ने उनका परीक्षण किया तो उन्होंने भी गलत फैसले किए। पीसीएस-प्री में तो ऐसे सवाल भी पूछे गए जो पहले की परीक्षाओं में पूछे जा चुके थे। उनके उत्तर भी अलग-अलग बताए गए। आयोग में इस बाबत सैकड़ों शिकायतें भेजी गई थीं लेकिन अनिल यादव के समय में किसी ने उनका जवाब देने की जरूरत नहीं समझी थी। ऐसे ही ओपीटी यानी वन टाइम पासवर्ड को खत्म कराने का मामला है। इसके तहत युवा सिर्फ अपने ही नंबर जान सकता है, दूसरे के नहीं।
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