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यूजीसी रेग्यूलेशन 2025 का मसौदा जारी, भर्ती, पदोन्नित नियमों में बदलाव, मुख्य विशेषताएं

 नई दिल्ली। अब यूजीसी नेट या पीएचडी वाले विषयों के आधार पर विश्वविद्यालयों में शिक्षक बन सकेंगे। पहले यूजी, पीजी और पीएचडी एक ही विषय में होनी जरूरी होती थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत विश्वविद्यालयों का शिक्षक बनने की प्रक्रिया में लचीलापन लाया गया है।


विश्वविद्यालयों में दो तरह के नियमित शिक्षक होंगे, जबकि तीसरे वर्ग में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी सीटों पर तीन साल तक के लिए इंडस्ट्री या अपने क्षेत्र के दिग्गज शिक्षक बनकर सेवाएं दे सकते हैं। खास बात यह है कि खेलों को बढ़ावा देने के मकसद पहली बार यूजीसी ने शिक्षक भर्ती नियमों में पैराओलंपिक समेत कई



अन्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों व अवॉर्डी को शामिल किया है।

यूजीसी अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि यूजीसी रेग्यूलेशन 2025 के मसौदे का मकसद भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में संकाय सदस्यों की भर्ती और पदोन्नति के तरीके को बदलना है, जो संकाय भर्ती और कॅरिअर प्रगति में लचीलापन, समावेशिता और उत्कृष्टता को

बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, अब यूजीसी नेट अपने मनपसंद विषय में देकर शिक्षक बन सकते हैं। भले ही उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री अलग-अलग विषयों में हों। इससे एनईपी 2020 के तहत उच्च शिक्षा में बहु- विषयक पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा। इसके अलावा पुस्तकों, अध्यायों और शैक्षणिक योग्यताओं के प्रकाशन में भारतीय भाषाओं पर जोर दिया गया है। 


 केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय) विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया।

मुख्य विशेषताएं

1. लचीलापन उम्मीदवार उन विषयों में शिक्षण करियर बना सकते हैं, जिनके लिए वे नेट/सेट के साथ अर्हता प्राप्त करते हैं। पीएचडी विशेषज्ञता को प्राथमिकता दी जाएगी।


2. समग्र मूल्यांकन इसका उद्देश्य योग्यताओं की व्यापक श्रेणी पर केंद्रित स्कोरआधारित शॉर्टलिस्टिंग हटाना है।


3. विविध प्रतिभा पूल मसौदा कला, खेल,पारंपरिक विषयों के विशेषज्ञों के लिए समर्पित भर्ती का रास्ता बनाता है। 



एपीआई को हटाया गया... नए नियमों में अकादमिक प्रदर्शन


संकेतक (एपीआई) को हटा दिया गया है। अब नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास, उद्यमशीलता, पुस्तक लेखन, डिजिटल शिक्षण संसाधनों का विकास, सामुदायिक जुड़ाव और सामाजिक योगदान जैसे क्षेत्रों के आधार पर समग्र मूल्यांकन होगा। इसके अलावा योग, संगीत, प्रदर्शन कला, दृश्य कला, मूर्तिकला और नाटक जैसे क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए विशेष भर्ती का रास्ता खोला है।

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