नई दिल्ली: यदि आप किसी क्षेत्र में लंबा अनुभव रखते हैं तो आने वाले समय में विश्वविद्यालयों सहित दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों में आपको प्रोफेसर बनने का मौका भी मिल सकता है। शिक्षा मंत्रलय नई स्कीम शुरू करने में जुटा है।
यदि आप किसी भी क्षेत्र में लंबा अनुभव रखते हैं तो आने वाले दिनों में विश्वविद्यालयों सहित दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों में आपको प्रोफेसर बनने का मौका मिल सकता है। पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों को किसी न किसी हुनर (स्किल) से जोड़ने की मुहिम में जुटा शिक्षा मंत्रलय जल्द ही इसे लेकर एक नई स्कीम शुरू करने में जुटा है। इसमें उद्योगों व रोजगारपरक क्षेत्रों से जुड़े ऐसे विशेषज्ञों को मौका दिया जाएगा जो लंबे अनुभव के साथ ही पढ़ाने में रुचि रखते हैं। उन्हें सीधे प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति दी जाएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए सृजित किए जा रहे इस पद को ‘प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस’ नाम दिया है।
प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थान में ‘प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस’ के पद पर कितने विशेषज्ञों की नियुक्ति होगी, फिलहाल यह साफ नहीं है। लेकिन ऐसे क्षेत्रों को तलाशा जा रहा है, जिसमें ऐसे विशेषज्ञों को नियुक्ति दी जा सकती है। उच्च शिक्षण संस्थानों में सृजित होने वाले यह पद पहले से स्वीकृत पदों के अतिरिक्त होंगे। इनमें किसी तरह का कोई आरक्षण भी नहीं होगा। इसके लिए सिर्फ अनुभव ही एकमात्र मानक होगा। शिक्षा मंत्रलय से जुड़े अफसरों की मानें तो इनमें उन क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, जिनमें किसी डिग्री या डिप्लोमा से ज्यादा अनुभव महत्व रखता है। मालूम हो कि सरकार ने प्रशासनिक क्षेत्र में भी अनुभव के आधार पर अलग- अलग क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव (जेएस) के पद पर सीधी नियुक्ति दी है। इनमें उद्योगों से जुड़े विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इस पहल को भी उसी से जोड़कर देखा जा रहा है। मंत्रलय का मानना है कि लंबे अनुभव के आधार पर कोई भी विशेषज्ञ छात्रों को जो शिक्षा दे देगा, वह डिग्री लेकर आने वाले शिक्षक नहीं दे सकते।
’>>क्षेत्र विशेष में अनुभव के आधार पर प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस’ का चयन
’>> शिक्षा मंत्रलय योजना को अंतिम रूप देने में जुटा, क्षेत्रों की तलाश जारी
एनईपी में शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की सिफारिश
उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुभव के आधार पर विशेषज्ञों को प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति देने की पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के बाद शुरू हुई है। जिसमें छात्रों को पढ़ाई के साथ हुनरमंद बनाने की मजबूत सिफारिश की गई है। साथ ही कहा है कि देश को नई छलांग लगानी है तो अपनी नई पीढ़ी को किसी स्किल से जोड़ना जरूरी है। इसके लिए उद्योगों सहित अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को संस्थानों से जोड़ने की सिफारिश की है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 2025 तक देश के 50 प्रतिशत छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। अभी देश में सिर्फ पांच प्रतिशत छात्र ही व्यवसायिक शिक्षा हासिल कर रहे हैं।