दीन हीन शोषित अध्यापक - बेसिक शिक्षा मंत्री जी को खुला पत्र : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

श्री मान  , बेसिक शिक्षा मंत्री , उत्तर प्रदेश सरकार
बड़े हर्ष का विषय है कि चुनाव समाप्त होते ही आपने बेसिक शिक्षा को सुधारने के प्रयास प्रारम्भ कर दिए। अच्छी बात है कि अध्यापकों की उपस्थिति सुधारनें को एस एम् एस से छुट्टी लेने की व्यवस्था आपके द्वारा सख्ती से लागु की गयी है सच है सुधार में सबसे पहले अध्यापकों को ही सुधारा जाना चाहिए।
पर क्या ऐसी कोई व्यवस्था उन छात्रों के लिए भी लागू होगी जो नियमित विद्यालय नहीं आते है और घर की आर्थिक स्थिति अत्यंत ख़राब होने की बजह से मजदूरी करने को बाध्य हैं।क्या उस सफाई कर्मी के लिए भी ऐसी कोई व्यवस्था होगी जो महीने में कभी कभार ही सफाई करने विद्यालय आता है और उसकी शिकायत करने पर प्रधान सचिव और ब्लाक के अधिकारी अध्यापक को ही हड़का देते हैं।

शिक्षक अभी अभी 2 महीने के लंबे चुनाव और चार पांच ड्यूटियों से मुक्त हुए है हालाँकि ये ड्यूटियां नहीं लगने चाहिए थी पर सरकार का गठन पढ़ाई से ज्यादा महत्वपूर्ण कार्यों में आता है इसलिए ये 2 महीने का नुकसान ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। इधर आप शिक्षक को नियमित स्कूल भेजने को आदेश कर रहे हैं और शिक्षक जनगणना रजिस्टर अपडेट करने के सर्वोच्च वरीयता के काम में लगे हैं चूँकि ये काम भारत सरकार का है ऐसे में इसे ना कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है।इसके बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद् की कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा है हालाँकि परीक्षा तो हमें भी मार्च माह में ही करानी हैं और हमारे यहाँ भी अतिरिक्त अध्यापकों की जरुरत होती है पर जिला प्रशासन के लिए हमारी परीक्षा से महत्वपूर्ण बोर्ड परीक्षा है। हमारे यहाँ तो एक शिक्षक भी 5 कक्षाओं में दौड़ दौड़ कर परीक्षा कराने में सक्षम है इसलिए हमारे शेष अध्यापक नक़ल विहीन बोर्ड परीक्षा में लगाये जाने तय हैं।
महोदय हमारे ज्यादातर शिक्षक वर्ष भर आर टी ई एक्ट 2009 के प्राविधान और माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी बी एल ओ बने रहे और छुट्टियों में भी अपना कार्य करते रहे पर शैक्षिक गुणवत्ता नहीं बड़ा सके इसलिए ऐसे शिक्षकों पर कार्यवाही होनी ही चाहिए पर क्या कोई कार्यवाही उन जिलाधिकारियों और प्रशासनिक अफसरों पर भी हो सकेगी जिन्होंने प्रमुख सचिव शासन, आर टी इ एक्ट और माननीय न्यायालय के आदेशों के विपरीत शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाये रखकर छात्रों को शिक्षा पाने से वंचित रखा।

आपने अपने निर्देशों में विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन ना बनने पर अध्यापकों पर कठोर कार्यवाही के निर्देश दिए है पर क्या कार्यवाही उन प्रधानों पर भी होगी जो इस योजना में प्रधानाध्यापक को सामिग्री ना देकर योजना को बाधित करते हैं। जबकि खाना बनवाने की जवाबदेही ग्रामशिक्षा समिति की या एस एम् सी की है। क्या उन अफसरों पर भी आप कार्यवाही कर सकेंगे जिनकी लापरवाही के कारण सभी लाखों शिक्षक भर्तियां अभी तक लंबित है और अध्यापक एक साथ एक ही समय में सभी कक्षाओं के बच्चों को इकट्ठा पढ़ाने को मजबूर हैं क्या उन जिला स्तरीय अधिकारियों पर भी आप उतने ही सख्त हो पायेगें जिनकी लापरवाही से माननीय उच्च न्यायालय में शिक्षक समस्याओं के हजारों मुक़दमे लंबित हैं।
क्या भविष्य में विद्यालय को 5 कक्षाओं के सापेक्ष 5 अध्यापक और एक लिपिक के साथ एक चपरासी मिल सकेगा क्या भविष्य में अध्यापक को अध्यापक के दायित्व के अतिरिक्त अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने का कोई बाध्यकारी आदेश आपके द्वारा जारी किया जाएगा। क्या स्कूल ना भेजने बाले अभिभावक के खिलाफ भी कोई सख्ती आप कर पायेगे ।
आपके आने पर पुनः बेसिक शिक्षा का अध्यापक आशा भरी निगाहों से आपके सुधारवादी निर्णयों और आदेशों के इंतज़ार में है केवल शिक्षक को जवाबदेह बनाकर बिना कारण जाने दंडात्मक कार्यवाही से शिक्षा का सुधार नहीं हो सकेगा इसके लिए हमें आपके प्यार दुलार और निर्देशन की आवश्यकता है पहले बेसिक शिक्षा में जमीन से जुडी बुनियादी समस्याओं के निदान की आवश्यकता है उसके बाद दीर्घकालिक योजना के निर्माण और क्रियान्वयन की जरुरत है शिक्षकों के लिए आपके प्रत्येक सख्त और दंडात्मक आदेश से केवल जनपद स्तरीय अधिकारियों की जेब भर गर्म होगी इससे अधिक कोई सुधार की अपेक्षा ना करें।

प्रेषक
आपका दीन हीन शोषित अध्यापक

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