झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में हुईं मारपीट की घटनाओं की जांच पूर्व डीजीपी को सौंपने के विरोध में मंगलवार को कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।
बाद में कर्मचारी संघ और बीयू प्रशासन की बैठक हुई, जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान कर्मचारी संघ की मांग पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने चार्ट कटिंग और शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की एसआईटी जांच कराने का फैसला लिया। संघ ने चेतावनी दी है
यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो हड़ताल जारी रहेगी।
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के बीच मारपीट की कई घटनाएं हुई थीं, जिसमें से एक मामले के सीसीटीवी फुटेज भी बीयू प्रशासन को मिल गए हैं। इन मामलों की जांच को पूर्व डीजीपी बाबूलाल यादव को जांच अधिकारी बनाया गया है।
मंगलवार को जांच अधिकारी के विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद ही अचानक माहौल गर्मा गया। कर्मचारी संघ ने दोपहर डेढ़ बजे विश्वविद्यालय के सभी विभागों में हड़ताल कर दी। इसके बाद सभी कर्मचारी अधिकारियों के साथ बैठक करने के लिए कांफ्रेंस हॉल में एकत्र हो गए।
वहां कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीरेंद्र यादव ने जांच अधिकारी के विरोध में अपना पक्ष रखा। अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में भी जांच अधिकारी से कई जांच करवाई गईं, जिसमें विश्वविद्यालय का लाखों रुपये खर्च हुआ। बाद में उन जांचों को कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसलिए ऐसे अधिकारी से जांच नहीं कराई जानी चाहिए। अध्यक्ष द्वारा बीयू अधिकारियों पर जातिवाद के आरोप भी लगाए गए।
इसके जवाब में कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने जातिवाद के आरोपों को अशोभनीय और घृणित करार देते हुए कहा कि मारपीट के आरोपी कर्मचारी और जांच अधिकारी तो एक ही जाति के हैं, तब क्यों ऐसा आरोप लगाया जा रहा है। वीसी ने कहा कि वह जातिवाद में विश्वास नहीं रखते हैं।
माहौल खराब न हो इसलिए अनुशासनहीनता के तथ्यों के अन्वेषण को जांच कराई जा रही है। इस पर संघ अध्यक्ष द्वारा कहा गया कि पहले के भी कई मामलों की जांच लंबित पड़ी हुईं हैं। चार्टों में कटिंग और नियमित शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की भी जांच अभी तक नहीं हुई है। इस पर कुलपति ने कुलसचिव व्यास नारायण सिंह को दोनों मामलों की एसआईटी जांच कराने के निर्देश दिए।
बीयू प्रशासन एसआईटी जांच से संबंधित जानकारी के लिए आगरा विश्वविद्यालय से संपर्क करेगा, क्योंकि वहां हाल ही में बीएड फर्जीवाड़े की एसआईटी से जांच कराई जा रही है। अब एसआईटी जांच में कइयों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है क्योंकि बीयू में नियुक्तियों और चार्टों में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। एसआईटी जांच में सब परतें एक के बाद एक खुलती जाएंगी।
शिक्षक पर बरसे कुलपति
कर्मचारी संघ की बैठक में इंजीनियरिंग विभाग के एक शिक्षक का उपस्थित होना कुलपति को नागवार गुजरा। जैसे ही शिक्षक कुछ बोलने को खड़े हुए, कुलपति नाराज हो गए। उन्होंने पूछा कि आप शिक्षक हो या कर्मचारी। इसके बाद वीसी शिक्षक पर बरस पड़े। उन्होंने कड़ी नाराजगी जताते हुए शिक्षक को हॉल से बाहर तक जाने को बोल दिया। कर्मचारी संघ के हस्तक्षेप के बाद शिक्षक अपनी कुर्सी पर बैठ गए।
हड़ताल की तो कार्रवाई
कर्मचारी संघ द्वारा आगे भी हड़ताल करने की चेतावनी के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन भी कार्रवाई के मूड में है। कुलसचिव का कहना है कि पूर्व में ही आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत परिसर में किसी भी प्रकार का धरना, प्रदर्शन व हड़ताल पर रोक संबंधी पत्र जारी किया जा चुका है। इसलिए यदि बुधवार को भी हड़ताल जारी रहती है तो कर्मचारियों पर ना काम, ना मानदेय का नियम लागू होगा।
संघ ने वीसी को सौंपा मांग पत्र
बैठक खत्म होने के बाद कर्मचारी संघ ने कुलपति को दस बिंदुओं का मांग पत्र सौंपा। पत्र में कर्मचारियों ने पूर्व में जांच हो चुके मामलों की पुन: जांच न कराने, पूर्व में जांच अधिकारी पूर्व डीजीपी द्वारा की गई जांचों में व्यय हुई धनराशि का विवरण देने, सेवारत व्यक्ति से जांच कराने, जांच बिंदु क्रमवार उपलब्ध कराने, लंबित जांचों को पहले कराने, यौन शोषण की लंबित जांचों को कराने, कर्मचारी व शिक्षकों से लिखित में प्रश्न पूछे जाने व लिखित में उत्तर देने का अवसर देने, पूर्व डीजीपी से जांच कराने का बहिष्कार आदि मांग शामिल हैं।
पूर्व डीजीपी ने लिए बयान
विश्वविद्यालय में कर्मचारियों और प्रशासन के बीच गर्म माहौल में ही पीड़ित कर्मचारी के बयान भी पूर्व डीजीपी ने ले लिए। कर्मचारी द्वारा लिखित में बयान दर्ज कराए गए। इसके बाद जांच अधिकारी ने प्रशासन विभाग जो कि घटनास्थल है, वहां का निरीक्षण कर नक्शा भी बनवाया।
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बाद में कर्मचारी संघ और बीयू प्रशासन की बैठक हुई, जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान कर्मचारी संघ की मांग पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने चार्ट कटिंग और शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की एसआईटी जांच कराने का फैसला लिया। संघ ने चेतावनी दी है
यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो हड़ताल जारी रहेगी।
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के बीच मारपीट की कई घटनाएं हुई थीं, जिसमें से एक मामले के सीसीटीवी फुटेज भी बीयू प्रशासन को मिल गए हैं। इन मामलों की जांच को पूर्व डीजीपी बाबूलाल यादव को जांच अधिकारी बनाया गया है।
मंगलवार को जांच अधिकारी के विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद ही अचानक माहौल गर्मा गया। कर्मचारी संघ ने दोपहर डेढ़ बजे विश्वविद्यालय के सभी विभागों में हड़ताल कर दी। इसके बाद सभी कर्मचारी अधिकारियों के साथ बैठक करने के लिए कांफ्रेंस हॉल में एकत्र हो गए।
वहां कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीरेंद्र यादव ने जांच अधिकारी के विरोध में अपना पक्ष रखा। अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में भी जांच अधिकारी से कई जांच करवाई गईं, जिसमें विश्वविद्यालय का लाखों रुपये खर्च हुआ। बाद में उन जांचों को कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसलिए ऐसे अधिकारी से जांच नहीं कराई जानी चाहिए। अध्यक्ष द्वारा बीयू अधिकारियों पर जातिवाद के आरोप भी लगाए गए।
इसके जवाब में कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने जातिवाद के आरोपों को अशोभनीय और घृणित करार देते हुए कहा कि मारपीट के आरोपी कर्मचारी और जांच अधिकारी तो एक ही जाति के हैं, तब क्यों ऐसा आरोप लगाया जा रहा है। वीसी ने कहा कि वह जातिवाद में विश्वास नहीं रखते हैं।
माहौल खराब न हो इसलिए अनुशासनहीनता के तथ्यों के अन्वेषण को जांच कराई जा रही है। इस पर संघ अध्यक्ष द्वारा कहा गया कि पहले के भी कई मामलों की जांच लंबित पड़ी हुईं हैं। चार्टों में कटिंग और नियमित शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की भी जांच अभी तक नहीं हुई है। इस पर कुलपति ने कुलसचिव व्यास नारायण सिंह को दोनों मामलों की एसआईटी जांच कराने के निर्देश दिए।
बीयू प्रशासन एसआईटी जांच से संबंधित जानकारी के लिए आगरा विश्वविद्यालय से संपर्क करेगा, क्योंकि वहां हाल ही में बीएड फर्जीवाड़े की एसआईटी से जांच कराई जा रही है। अब एसआईटी जांच में कइयों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है क्योंकि बीयू में नियुक्तियों और चार्टों में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। एसआईटी जांच में सब परतें एक के बाद एक खुलती जाएंगी।
शिक्षक पर बरसे कुलपति
कर्मचारी संघ की बैठक में इंजीनियरिंग विभाग के एक शिक्षक का उपस्थित होना कुलपति को नागवार गुजरा। जैसे ही शिक्षक कुछ बोलने को खड़े हुए, कुलपति नाराज हो गए। उन्होंने पूछा कि आप शिक्षक हो या कर्मचारी। इसके बाद वीसी शिक्षक पर बरस पड़े। उन्होंने कड़ी नाराजगी जताते हुए शिक्षक को हॉल से बाहर तक जाने को बोल दिया। कर्मचारी संघ के हस्तक्षेप के बाद शिक्षक अपनी कुर्सी पर बैठ गए।
हड़ताल की तो कार्रवाई
कर्मचारी संघ द्वारा आगे भी हड़ताल करने की चेतावनी के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन भी कार्रवाई के मूड में है। कुलसचिव का कहना है कि पूर्व में ही आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत परिसर में किसी भी प्रकार का धरना, प्रदर्शन व हड़ताल पर रोक संबंधी पत्र जारी किया जा चुका है। इसलिए यदि बुधवार को भी हड़ताल जारी रहती है तो कर्मचारियों पर ना काम, ना मानदेय का नियम लागू होगा।
संघ ने वीसी को सौंपा मांग पत्र
बैठक खत्म होने के बाद कर्मचारी संघ ने कुलपति को दस बिंदुओं का मांग पत्र सौंपा। पत्र में कर्मचारियों ने पूर्व में जांच हो चुके मामलों की पुन: जांच न कराने, पूर्व में जांच अधिकारी पूर्व डीजीपी द्वारा की गई जांचों में व्यय हुई धनराशि का विवरण देने, सेवारत व्यक्ति से जांच कराने, जांच बिंदु क्रमवार उपलब्ध कराने, लंबित जांचों को पहले कराने, यौन शोषण की लंबित जांचों को कराने, कर्मचारी व शिक्षकों से लिखित में प्रश्न पूछे जाने व लिखित में उत्तर देने का अवसर देने, पूर्व डीजीपी से जांच कराने का बहिष्कार आदि मांग शामिल हैं।
पूर्व डीजीपी ने लिए बयान
विश्वविद्यालय में कर्मचारियों और प्रशासन के बीच गर्म माहौल में ही पीड़ित कर्मचारी के बयान भी पूर्व डीजीपी ने ले लिए। कर्मचारी द्वारा लिखित में बयान दर्ज कराए गए। इसके बाद जांच अधिकारी ने प्रशासन विभाग जो कि घटनास्थल है, वहां का निरीक्षण कर नक्शा भी बनवाया।
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