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शिक्षकों के चयन में रोड़ा बनी विश्वविद्यालयों की सुस्ती : शिक्षकों के चयन का मामला हो या शिक्षामित्रों के समायोजन का

लखनऊ : शिक्षकों के चयन का मामला हो या शिक्षामित्रों के समायोजन का, अभ्यर्थियों के शैक्षिक दस्तावेजों की जांच को लेकर विश्वविद्यालयों की सुस्ती खत्म नहीं हो रही है। स्थिति यह है कि पिछले साल चयनित प्रशिक्षु शिक्षकों में बड़ी संख्या में ऐसे भी हैं, जिन्हें शैक्षिक दस्तावेजों का सत्यापन न हो पाने के कारण अब तक वेतन मिलना नहीं शुरू हो पाया है।
मामला सिर्फ प्रशिक्षु शिक्षकों तक ही सीमित नहीं है। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय भी शिक्षकों की कम से जूझ रहे हैं। सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से कार्यवाही की जा रही है। इसके तहत संबंधित विश्वविद्यालयों से अभ्यर्थियों के अंकपत्रों और डिग्रियों का सत्यापन कराया जा रहा है।
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शासन को जानकारी मिली है कि अभ्यर्थियों के शैक्षिक दस्तावेजों के सत्यापन में विश्वविद्यालय देर कर रहे हैं जिससे अभ्यर्थियों के साथ चयन संस्थाओं को भी असुविधा हो रही है। लिहाजा शासन ने विश्वविद्यालयों को आदेश जारी कर शैक्षिक दस्तावेजों के सत्यापन में तेजी लाने का निर्देश दिया है। 1प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा जितेंद्र कुमार ने इस समस्या से निपटने के लिए सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को एक से 10 जून तक लगातार अभियान चलाकर अभिलेखों के सत्यापन की कार्यवाही पूरी करने के लिए कहा है। विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वे इसके लिए अलग काउंटर स्थापित करें और उस पर जरूरत के मुताबिक अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती करें। इसके लिए एक नोडल अधिकारी भी नामित किया जाए जिसका नाम और टेलीफोन नंबर शासन को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।
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