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प्रदेश सरकार के अधिकारी गत पाँच वर्ष से टीईटी -2011 को कुचक्र में फँसाकर ख़त्म करने पर आमादा : Ganesh Dixit

सावन का महीना भोले-शंकर की विशेष पूजा-अर्चना का महीना माना जाता है और इसी महीने में टीईटी 2011 उत्तीर्ण के लिये अदालत से कई महत्वपूर्ण निर्णय आने की प्रबल सम्भावना है इसलिये भोले-शंकर का
सुमिरन कर निश्छल भाव से कर्मपथ पर बढ़ते रहिये ,निर्विवाद रूप से ईश कृपा मिलेगी और टीईटी सर्वदा को अजर ,अमर होगी ।
चयनित लोगों को लगभग एक वर्ष होने वाला है नौकरी पाये हुये ,अभी तक लगभग सभी को वेतन भी मिलने लगा है जिसके हम हकदार भी हैं । सुप्रीम कोर्ट में हम अंतिम निर्णय पर हैं और यहाँ यदि हम अपनी लापरवाही से केस हारते हैं तो हमारा जग लुट जाने वाली बात होगी ,हालाँकि इसकी सम्भावना न के बराबर है फिरभी हमें सजग और सतर्क रहना होगा ,अपनी लड़ाई दूसरे के भरोसे नहीँ छोड़ी जा सकती है ।
वहीँ अच्य्नीत साथियों के लिये भी हार या जीत ,नौकरी मिलने या न मिलने का अंतर बतायेगी जिसकी कीमत आज जीवन से कम नहीँ ।
ज्यादातार लोग ये मान चुके हैं की हम जीत गये हैं , यह सत्य हो सकता है पर जब तक अंतिम निर्णय पक्ष में न आ जाये इसे भ्रम ही मानना चाहिये ।
ये सब बातें भय उत्पन्न करने के उद्देश्य से नहीँ बता रहा हूँ ,बल्कि समय के अनुरूप एकजुट और संगठित होने के उद्देश्य को लक्षित कर बताई जा रहीं हैं ।
जैसा की पिछली सुनवाई में जज साहब यह स्पष्ट कर चुके हैं की कुछ ही वकीलों को पक्ष रखने का मौका दिया जायेगा । इसको ध्यान में रखते हुये टीईटी 2011 उत्तीर्ण सभी पक्षकारों को भी मिलकर निर्णय लेना होगा की उनका पक्ष कौन कौन रखेगा , हमें यहाँ निश्छल भाव से एकमत होकर निश्चित वकील का चयन करके ब्रीफिंग को बहुत अच्छे से करवाना होगा ।
समय बेहद कम है और अत्यंत जागरूक रहने का समय है । इस सप्ताह जूनियर विज्ञान /गणित भर्ती (29334 ) में भी निर्णय आने की प्रबल सम्भावना है जो की बेसिक में हुई 72825 के अलावा 90000 भर्ती का भविष्य तय करेगा ।
यह निर्णय इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि ये प्रदेश सरकार को कानून अनुपालन कि कसौटी पर परखेगा और बतायेगा कि अधिकारियों ने अदालत के किन आदेशों का पालन किया है और किन आदेशों कि अवेहलना की है ।
मित्रों , प्रदेश सरकार के अधिकारी गत पाँच वर्ष से टीईटी -2011 को कुचक्र में फँसाकर ख़त्म करने पर आमादा हैं । एक तरफ़ भारत की सर्वोच्च अदालत का आदेश होने के बावजूद बेसिक में शिक्षकों के पदों को खाली रखा गया या भरे भी गये तो मनचाहे तरीके से विधिक रूप में अयोग्य लोगों को कृपापात्र बनाया गया ,वहीँ टीईटी -2011 में अब तक चयनित लोगों को भी वेतन या एरियर के नाम पर लूटा जा रहा है , एबीआरसी/एनपीआरसी केवल बीएसए/एबीएसए के लिये उगाही करने वाले एजेंट की तरह काम कर रहे हैं ,ज्यादातर को ये तक नहीँ मालूम होता की उनके पद के क्या दायित्व हैं ,केवल अध्यापकों की उपस्थिति और अनुपस्थिति के नाम पर धन उगाही ही इनका एकमात्र दायित्व मालूम पड़ता है ,क्या यह सब उच्च अधिकारियों को मालूम नहीँ होता ? या इसमें बड़े-बड़े लोगों की सहभागिता होती है ।
कुलमिलाकर टीईटी -2011 उत्तीर्ण का एकमात्र ही सहारा है ,और वो है हमारी न्यायपालिका । दूसरी ,हमारी एकजुटता व संघर्ष । इसलिये हमें हरहाल में एकजुट होकर न्याय के पथ पर सत्य और निष्ठा के साथ चल रहा हमारा समर्पण जारी रखना होगा ।
शेष फ़िर...
सन्घेय शक्ति सर्वदा ।
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