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7 दिसम्बर को होने वाली सुनवाई में शिक्षामित्र समायोजन केस के पैरवीकारों के सामने एक अजब सवाल?

7 दिसम्बर को होने वाली सुनवाई में शिक्षामित्र समायोजन केस के पैर्विकारों के सामने एक अजब सवाल है:-
कोर्ट में वे टेट में शिक्षामित्रों के प्रतिभाग का विरोध करेंगे या समर्थन?

चूँकि कोर्ट ने कहा है कि वो 7 दिसम्बर की सुनवाई में इस पर विचार करेगा।
इसलिए ये प्रश्न अति महत्त्वपूर्ण है। इस आसान से दिखने वाले सवाल का जवाब इतना आसान नहीं है। ये एक ओपन एंडेड क्वेश्चन है। बल्कि एक दो धारी तलवार है। अगर आप टेट में प्रतिभाग का विरोध करेंगे तो आप याचिकाकर्ता के समर्थक होंगे और अगर आप समर्थन करेंगे तो आप स्वतः व स्वयं अपने समायोजन केस को कमज़ोर कर देंगे।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के वर्किंग ग्रुप मेम्बर्स रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी इस प्रश्न पर एक ऐसी रणनीति तैयार कर चुके हैं जो इस प्रश्न के आधार की जड़ पर वार करती है। और इस संदर्भ में अपनी रणनीति को साकार रूप देने हेतु 2 दिसम्बर को ग्रुप दिल्ली रवाना हो रहा है।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप जागरूक और विधिक जानकार शिक्षामित्रों का समूह है। आम शिक्षामित्र अपने अधिकार के लिए अपने "मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप" के साथ लड़ रहा है, और अपनी आजीविका और मान सम्मान की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मिशन ने दो नयी याचिकाएं जो प्रशिक्षण, शिक्षक के रूप में स्थापित करवाने और समायोजन केस को मिशन की याचिका की सुनवाई पूर्ण हुए बिना निर्णीत न करने हेतु फाइल की जा रही हैं। जोकि ड्राफ्ट हो चुकी हैं और ग्रुप के वकील इसे जल्दी ही कोर्ट में सबमिट कर देंगे। आशा और विश्वास है 10 दिसम्बर से पूर्व इनकी सुनवाई सुनिश्चित हो जायेगी।
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