Thursday 1 December 2016

Income Tax: तो क्या पूरी तरह खत्म हो जाएगा आयकर यानी इनकम टैक्स!

नई दिल्लीः 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने के बाद क्या मोदी सरकार का अगला बड़ा फैसला आयकर खत्म करने का होगा? ये सवाल आजकल काफी चर्चा में है. आयकर खत्म करने का सुझाव अर्थक्रांति नाम की
उस संस्था का है, जो दावा करती है कि सरकार ने बड़े नोट बंद करने का फैसला उसी की सलाह पर किया है.
एबीपी न्यूज ने ये जानने की कोशिश की कि क्या सरकार अर्थक्रांति के दूसरे सुझाव पर भी अमल कर सकती है.
आयकर को पूरी तरह से खत्म करने के सुझाव समय-समय पर सामने आते रहे हैं, लेकिन उन्हें कभी बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया. लेकिन नोटबंदी जैसे बड़े और चौंकाने वाले फैसले के बाद आयकर खत्म किए जाने की चर्चाओं को लोग ज्यादा गंभीरता से लेने लगे हैं. इसकी एक वजह ये भी है कि प्रधानमंत्री मोदी को नोटबंदी का सुझाव देने का दावा करने वाली संस्था अर्थक्रांति भी आयकर खत्म करने की वकालत करती है.

अर्थक्रांति के प्रमुख अनिल बोकिल एबीपी न्यूज के साथ खास बातचीत में कह चुके हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को जो सुझाव दिए थे, उनमें इनकम टैक्स खत्म करने का नंबर नोटबंदी से भी पहले आता है. और नोटबंदी लागू होने के बाद अब वो इस बात पर ज़ोर देंगे कि उनके पहले सुझाव पर भी अमल किया जाए.

अनिल बोकिल का कहना है कि नोटबंदी तो हो गई और उसका हम स्वागत भी करते हैं, लेकिन आधा काम बचा है-वो है बाकी सारे टैक्स खत्म करके बीटीटी लागू करना. अब हम उस पर ज़ोर देंगे. जिस बीटीटी का जिक्र हो रहा है उसका मतलब है बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स. यानी वो टैक्स जो बैंकिंग के जरिये होने वाले हर लेन-देन पर वसूला जाए. अर्थक्रांति के मुताबिक बीटीटी की दर 2 फीसदी रखी जा सकती है. बोकिल मानते हैं कि देश में इनकम टैक्स ही नहीं, सारे डायरेक्ट-इनडायरेक्ट टैक्स खत्म करके सिर्फ बीटीटी लागू करना चाहिए. यहां तक कि वो बीटीटी को गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानी जीएसटी से भी बेहतर मानते हैं.

अर्थक्रांति के प्रमुख अनिल बोकिल की इन बातों की वजह से ही इन अटकलों को मज़बूती मिल रही है कि कहीं सरकार नोटबंदी के बाद अब अर्थक्रांति का आयकर खत्म करने का सुझाव भी मानने तो नहीं जा रही? बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बयानों के कारण भी ऐसी दलीलों को और वज़न मिल रहा है.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने भी उम्मीद जाहिर की है कि मोदी सरकार नोटबंदी जैसा बड़ा कदम उठाने के बाद अब आगे चलकर आयकर खत्म करने का काम भी कर सकती है. नोटबंदी और कैशलेस अर्थव्यवस्था के लागू होने से सरकार की आमदनी 5-6 गुना बढ़ जाएगी. लिहाजा इनकम टैक्स लगाने की कोई ज़रूरत नहीं रह जाएगी और भविष्य में सिर्फ दो ही टैक्स बचेंगे, जीएसटी और बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स.

लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी और अनिल बोकिल के आयकर खत्म करने के सुझावों से प्रोफेसर अरुण कुमार जैसे अर्थशास्त्री सहमत नहीं हैं. उनका मानना है कि आयकर को पूरी तरह खत्म करना अर्थव्यवस्था के हित में नहीं होगा. प्रोफेसर अरुण कुमार ये भी मानते हैं कि बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स का सुझाव अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होगा. क्योंकि इससे बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर को नुकसान हो सकता है.


नोटबंदी के फैसले के बाद आयकर को पूरी तरह से खत्म किए जाने की चर्चा भले ही तेज़ हो गई हो, लेकिन इन चर्चाओं में दम नहीं है. इस बारे में पूछने पर वित्त मंत्रालय ने साफ-साफ कहा कि मोदी सरकार ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही. ज़ाहिर है कि ऊंची आय वाले लोगों और मध्य वर्ग के करदाताओं का इनकम टैक्स से पूरी तरह छुटकारा पाने का सपना फिलहाल पूरा होने के आसार नहीं हैं.

अरुण जेटली देश का वित्त मंत्री बनने से पहले भी अर्थक्रांति के सुझावों पर खुलकर बात कर चुके हैं. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम घोषणा पत्र में इन सुझावों को क्रांतिकारी तो बताया था, लेकिन साथ ही ये भी कह दिया था कि इन्हें लागू करने में कई व्यावहारिक दिक्कतें हैं. जाहिर है इन दिक्कतों के रहते आयकर खत्म करने के सुझाव पर अमल हो पाना मुश्किल है पर अर्थक्रांति के नोटबंदी के सुझाव को मानने के बाद कहीं इस सुझाव पर भी गंभीर हुई तो ये देश का अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक फैसला साबित हो सकता है.
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