टीईटी वेटेज से संबंधित एनसीटीई की अधिसूचना विधिमान्य एवं बाध्यकारी, प्रदेश में 80 हजार शिक्षक भर्ती पर कोर्ट की नजर टेढ़ी, सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम आदेश तक इन नियुक्तियों पर यथास्थिति बरकरार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शैक्षणिक गुणांक के आधार पर नियुक्ति पाने वाले गणित- विज्ञान सहित लगभग 80 हजार सहायक अध्यापकों के मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश देते हुए सहायक अध्यापकों की नियुक्ति में टीईटी प्राप्तांक को वरीयता देने का मामला सर्वोच्च न्यायालय रेफर कर दिया लेकिन दो सदस्यीय खंडपीठ की नजर शैक्षणिक गुणांक वालों पर टेढ़ी ही रही।
अधिवक्ता विनय कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 में 15वें व 16वें संशोधन के तहत प्रतिस्थापित नियम 14(3) ए को असंवैधानिक माना है। एडवोकेट विनय के मुताबिक इससे 29334 गणित विज्ञान, बीटीसी व मोअल्लिम सहित लगभग 90 हजार भर्तियां असंवैधानिक हैं क्योंकि ये भर्तियां इसी संशोधन के आधार पर की गई थीं।
हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम आदेश तक इन नियुक्तियों पर यथास्थिति बरकरार है। विनय श्रीवास्तव का कहना है कि खंडपीठ ने गत 24 नवंबर के फैसले में टीईटी वेटेज से संबंधित एनसीटीई की 11 फरवरी 2011 की अधिसूचना के पैरा 9-बी को विधिमान्य एवं बाध्यकारी माना है। पूर्ण पीठ ने भी नियुक्ति में टीईटी प्राप्तांक को वरीयता देने का फैसला सुनाया था। इसके अलावा न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के फैसले में टीईटी वेटेज के आधार पर चयन सूची को नए सिरे से तैयार करने के लिए कहा था। यह आदेश अब तक कायम है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शैक्षणिक गुणांक के आधार पर नियुक्ति पाने वाले गणित- विज्ञान सहित लगभग 80 हजार सहायक अध्यापकों के मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश देते हुए सहायक अध्यापकों की नियुक्ति में टीईटी प्राप्तांक को वरीयता देने का मामला सर्वोच्च न्यायालय रेफर कर दिया लेकिन दो सदस्यीय खंडपीठ की नजर शैक्षणिक गुणांक वालों पर टेढ़ी ही रही।
अधिवक्ता विनय कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 में 15वें व 16वें संशोधन के तहत प्रतिस्थापित नियम 14(3) ए को असंवैधानिक माना है। एडवोकेट विनय के मुताबिक इससे 29334 गणित विज्ञान, बीटीसी व मोअल्लिम सहित लगभग 90 हजार भर्तियां असंवैधानिक हैं क्योंकि ये भर्तियां इसी संशोधन के आधार पर की गई थीं।
हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम आदेश तक इन नियुक्तियों पर यथास्थिति बरकरार है। विनय श्रीवास्तव का कहना है कि खंडपीठ ने गत 24 नवंबर के फैसले में टीईटी वेटेज से संबंधित एनसीटीई की 11 फरवरी 2011 की अधिसूचना के पैरा 9-बी को विधिमान्य एवं बाध्यकारी माना है। पूर्ण पीठ ने भी नियुक्ति में टीईटी प्राप्तांक को वरीयता देने का फैसला सुनाया था। इसके अलावा न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के फैसले में टीईटी वेटेज के आधार पर चयन सूची को नए सिरे से तैयार करने के लिए कहा था। यह आदेश अब तक कायम है।
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