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तीन तरीके के लोग तीन तरीके के बेस ऑफ़ सिलेक्शन की बात करते हैं , अभी तक एकेडेमिक मे गुणाक सिस्टम है

अभी तीन तरीके के लोग तीन तरीके के बेस ऑफ़ सिलेक्शन की बात करते हैं वो भी सब अपने अपने स्वार्थ के हिसाब से कुछ प्योर एकेडेमिक ,कुछ प्योर टेट ,तो कुछ वेटेज की बात करते हैं ,बाकी जो कोर्ट डिसाइड करे
वो सबको मानना होगा ,अगर मैं अपनी कहूँ तो इन सारे क्लेश की जड़ प्योर टेट या फिर प्योर एकेडेमिक होना है क्यों न इसमे प्योर को खत्म करके वेटेज को जोड़ दिया जाये वो भी 50-50 ताकि विवाद ख़त्म हो ,यदि 50 % एकेडेमिक और 50 % टेट के अंकों को वेटेज दे दिया जाए तो सभी विवादों का अंत हो जाएगा और फिर किसी का कोई विरोध भी नहीं होना चाहिए क्योंकि दोनों को बराबर अनुपात मे वरीयता दी गई है किसी को कम और ज्यादा नहीं ,अभी तक कोर्ट का रुख भी प्योर एकेडेमिक के खिलाफ ही रहा है , वो भी एकेडेमिक के अंकों को मेरिट बनाने के पक्ष मे नहीं तो स्टेट क्यों अपनी जिद्द पे अड़ा है जब सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बार फॉर्मूला देने को कहा था तो क्यों स्टेट ने नहीं दिया फिर जो सुप्रीम कोर्ट को उचित लगा अभी तक वही किया ,इतना सभी जान लें कि कुछ भी संविधान से बड़ा नहीं ,किसी की कोई शक्ति नहीं ,जब सुप्रीम कोर्ट संसद के बने कानून को रद्द कर सकती है तो ये स्टेट को कैसे मनमानी करने देगी ये कह के कि ये स्टेट के अधिकार क्षेत्र मे है ,फिर बहस तो जोरदार होगी ही और सुप्रीम कोर्ट ncte को ऐसे निर्देश देगा जो आगे सभी भर्तियो पर प्रभावी होंगे ,एक बात और कानून तो बहुत होते हैं स्टेट और यूनियन के लेकिन जो सुप्रीम कोर्ट एक बार आर्डर करता है वही आगे के लिए कानून बन जाते हैं ।
एक फार्मूला जुझा रहा हूं वो ये है----
अभी तक एकेडेमिक मे गुणाक सिस्टम है
हाई स्कूल - 1/10
इंटर - 2/10
स्नातक - 4/10
बीएड -3/10 % का
मान लो किसी व्यक्ति के एवरेज गुणांक 60 % है तो उसका 50 % 30 हुआ और उसके टेट मे 90 मार्क्स हैं और इन टेट के मार्क्स के % का 50 % हुआ 30 और अगर इन दोनों 50 % को जोड़ें तो 30 प्लस 30 बराबर हुआ 60 के तो उस व्यक्ति की मेरिट 60 हुई इस आधार पे मेरिट का निर्धारण किया जा सकता है ।
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