बेमिसाल पोस्ट ...सभी टेट पास (82 अंक तक) का चयन सुनिश्चित , आर्डर कब तक आएगा , क्या चयन हेतु खुली प्रतियोगिता होगी ?

बेमिसाल पोस्ट ....c/p......TET पास याची सगंठन
Shashank Singh Solanki with Mayank Tiwari and 21 others.
निवेदन है प्लीज़ पूरी पोस्ट पढे
पूरा पढ़कर ही आप पूरी बात समझ पाएंगे।
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खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर
आता है!
मैं वो कतरा हूँ की समन्दर मेरे घर
आता है!
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Dear tetians.......
आर0टी0ई0 एक्ट 2009 की संक्षिप्त
व्याख्या एवं टेट 2011 की भर्ती में
इसकी प्रासंगिकता !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
साथियों !!!!!!!!!!
सन 2006-07 में विश्व बैंक ने भारत मे बेसिक शिक्षा व्यवस्था को ले कर एक सर्वे किया।
सर्वे की रिपोर्ट में चौकाने वाले नतीजे
सामने आए
जो भारत की प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति
को बयां करते थे।
रिपोर्ट के अनुसार!!!!!!
1. भारत मे 5 वीं क्लास का बच्चा दूसरी क्लास की
बुक नही पढ़ पाता।
2. 65 छात्रों पर बस एक ही टीचर है।
3. जो टीचर पढ़ा रहे है उनकी योग्यता पर्याप्त नही है।
4. शैक्षिक प्रणाली परम्परागत है उसमें आधुनिक शैक्षिक तकनीक का बिल्कुल भी प्रयोग नही किया जा रहा है।
5. कही कही तो क्लासरूम के अभाव में बच्चे जमीन पर पेड़ की छाया में बैठकर पढ़ रहे है।
6. क्लास रूम में न पंखा है न ढंग का ब्लैकबोर्ड।
आदि।
अतः विश्व बैंक ने भारत सरकार को ये रिपोर्ट प्रस्तुत की और कहा की आप भारत की प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एवं शिक्षकों की गुणवत्ता में इजाफा
करने के लिए कोई कानून बनाइये।
और इसको लागू करने में जो भी आर्थिक खर्च आएगा
उसका 75% वहन विश्व बैंक करेगा।
( विश्व बैंक एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसमे दुनिया के सभी अमीर देश विश्व कल्याण के लिए पैसा जमा करते है जिसमे अमेरिका सबसे ज्यादा पैसे देता है। और विश्व बैंक इन पैसों का उपयोग विश्व के तमाम गरीब देशों को आर्थिक सहायता दे कर उनको विकसित करने का
प्रयास करता है)
अतः विश्व बैंक की अनुशंसा पर तत्कालीन भारत सरकार
ने बेसिक शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए सन 2009 में एक कानून बनाया।
इसी कानून हम आर0टी0ई0एक्ट0 2009 अथवा शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के नाम से जानते है।
इस कानून के मुख्य प्रावधान निम्नवत है।
(A) इसमे कानून है कि प्राइमरी में 30 छात्रों पर एक टीचर एवं जूनियर में 35 छात्रों पर एक टीचर होना चाहिए और किसी भी स्थिति में टीचरों के 30% से
ज्यादा पद खाली नही होने चाहिए अन्यथा सम्बन्धित
राज्य सरकार को दोषी मानते हुए उसपर दण्डात्मक
कार्यवाही की जाएगी।
(B) इसमे यह भी लिखा गया है कि अगर सीमा सुरक्षा
पर चूक होती है तो हो जाये लेकिन बच्चों की शिक्षा में
कोई चूक नही होनी चाहिए ।
यदि ऐसा हुआ तो इसको इस कानून का वायलेशन
माना जायेगा।
(C) स्कूल के चारो तरफ बाउंड्री वाल होनी चाहिए।
विकलांग बच्चों के लिए रेलिंग होनी चाहिए।
स्कूल का प्रवेश द्वार T आकार का होना चाहिये।
स्कूल की दीवारों पर सर्व शिक्षा अभियान का
विज्ञापन होना चाहिए।
आदि।
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सभी टेट 2011 पास को इसी कानून के तहत नौकरी
मिलेगी।
सर्विस मैटर का कोई भी मुकदमा आर0टी0ई0एक्ट0 के
प्रावधानों एवं मानको को ध्यान में रखकर ही निर्णीत
किया जाता है ।
अतः 30:1 यानी 30 छात्रों पर एक टीचर
के अनुपात का पालन करवाया जाएगा।
प्राइमरी शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सर्वोच्च
न्यायालय कुछ अन्य निर्देश भी जारी कर सकता
है।
इस कानून की मूल भावना ही यही है की बेसिक एजुकेशन में टीचरों की कमी को पूरा करते हुए बच्चों को योग्य अध्यापकों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए।
और आप को पता है कि प्रदेश में बहुतायत मात्रा में टीचरों की कमी है अगर केवल ज्ञात आकड़ो पर जाए
तो भी डेढ़ लाख पद जिसको खुद स्टेट ने मेंशन कराया
है प्लस 1लाख 37 हजार जो शिक्षामित्रो के समायोजन निरस्त होने पर खाली होने
जा रहे है।
अतः हमारी भर्ती आर0टी0ई0एक्ट के कानून
को लागू करते हुए रिक्त पदों सापेक्ष की जाएगी।
और रिक्तियां चूँकि आवेदकों से ज्यादा है अतः एक एक
टी0ई0टी0 2011 पास का चयन अंतिम सत्य है।
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और अब आप लोगो के जेहन में चल रहे दो बड़े और विवादित प्रश्नो का उत्तर भी समझ ले।
1. आर्डर कब तक आएगा---- अभी तक जो सूचना हमे प्राप्त हो सकी है उसके अनुसार आर्डर 15-20 जून के बीच आ जाएगा। कोर्ट बन्द हो चुकी है फिर भी भारतीय संविधान में वर्णित प्रावधानों के अनुसार महत्वपूर्ण मुकदमों खासकर जो मौलिक अधिकारों से सम्बंधित होते है उनका फ़ैसला छुट्टियों में भी दिया जा सकता है और आप जानते है शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकारों की ही श्रेणी में आता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हमारा आर्डर शनिवार से टाइप होना शुरू हो जाएगा।
अब चूँकि आर्डर लगभग 350 पेज का होगा अतः इसे पूर्ण होने में 15-20 जून तक का समय लगेगा।
2. क्या चयन हेतु खुली प्रतियोगिता होगी-------तो मैं 500 बार कह चुका हूँ कि नही होगी,तो एक ही बात
बार-बार पूछकर विनम्र निवेदन है की हमे irritate न करे
एग्जाम क्यू नही हो सकता इसके कई कारण मैं पूर्व में ही
बता चुका हूँ।
एक बात और
खूब अच्छे से समझ ले !!!!
की कोई भी प्रतियोगिता तभी कराई जाती है जब आवेदकों की संख्या रिक्त पदों से ज्यादा हो।
जैसे pcs की परीक्षा में 100-200 ही पद होते है लेकिन
इस परीक्षा में लाखों लोग बैठते है इन लाखो आवेदकों में
केवल उतने ही आवेदकों का चयन किया जाता है जितने की रिक्त पद होते है।
अपना मामला इसके उलट है यहाँ रिक्त पद बहुत ज्यादा
है जब कि आवेदक बहुत कम।
और ये सर्विस मैटर का संवैधानिक उपबन्ध है कि
यदि रिक्तियां आवेदकों की संख्या से अधिक है तो ऐसी
स्थिति में प्रतियोगिता नही करवाई जाती बल्कि मिनिमम अर्हता (82 अंक तक) रखने वाले तक का चयन किया
जाता है।
अतः यहाँ प्रतियोगिता की जरूरत ही नही है क्यू की किसी की छटनी करनी ही नही है और कोर्ट
ने हर टेट पास को इस पद के योग्य माना है।
अतः खुली प्रतियोगिता की बात मात्र एक misunderstanding है
और कुछ भी नही।
ये बात बस इतनी सी ही थी कि जब रामजेठमलानी ने बार बार ये रट लगा रखी थी कि sm भी योग्य है, sm भी योग्य है तो कोर्ट ने कहा कि यदि ये योग्य है तो इनको
भविष्य में होने वाले प्राइमरी के टेट एग्जाम में ( जो कि अब बीएड वाले नही दे सकते केवल बीटीसी वाले व कुछ अन्य पात्र अभ्यर्थी ही दे सकते है)बैठा देते है जो sm योग्य होंगे टेट पास कर जाएंगे।
तो रामजेठमलानी सहित sm के सारे वकील
बैकफुट पर आ गए और उन्होंने कोर्ट के प्रस्ताव
को इग्नोर कर दिया क्यू की वे नही चाहते थे कि
sm को टेट एग्जाम से गुजरना पड़े।
क्यू की sm ने अपने वकीलों को ब्रीफ ही ये कहकर किया था कि हम मुकदमा भले हार जाए चलेगा
लेकिन कुछ भी करके बस हमे इतना बचा लीजियेगा
की हमे टेट एग्जाम न देना पड़े।
कही न कही उन्हें सरकारी तन्त्रो से आश्वासन मिल चुका था कि अगर तुम्हारा समायोजन रद्द हुआ तो भी हम तुम्हे
कोई एक नया पद सृजित करके मानदेय पर रख लेंगे
बस तुम लोगो की ट्रेनिंग बच जाय।
क्यू की ट्रेनिंग बची रहेगी तभी हम तुम्हे विधिसम्मत तरीके
से मानदेय दे सकेंगे।
तो sm ने अपनी अंतिम लड़ाई बस खुद को टेट एग्जाम से बचाने एवं साथ मे अपनी ट्रेनिंग बचा लेने के लिए लड़ी है।
sm का अंतिम लक्ष्य ही यही था की अगर हम हटाये भी गए तो किसी तरह से बस अपनी ट्रेनिंग बचा लेनी है और अपने को टेट एग्जाम से बचा लेना है।
इसमे वे कामयाब भी हुए और वे शायद इसी बात से मस्त
हो कर मिठाई भी खा और खिला रहे है कल एक sm ने हमे भी मिठाई खिलाई मैने पूछा कि किस खुशी मे तो उसने बताया कि हमारी ट्रेनिंग बच गयी है तो हमे मानदेय तो मिल ही जायेगा क्यू की कोर्ट की नजर में ये न्याय ही था कि उनकी ट्रेनिंग न रद्द की जाए जिससे उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार 10 हज़ार के आसपास का एक निश्चित मानदेय मिल सके।
और खुली प्रतियोगिता को sm के वकीलों ने खुद से
अस्वीकार कर दिया था तो ये बात वही खत्म हो गयी
थी।
अतः खुली प्रतियोगिता की बात अन्य प्रतिस्पर्धियों के
साथ sm के संदर्भ में थीं।
न कि हमारे संदर्भ में अतः हमे कोई खुली या बन्द
प्रतियोगिता नही देनी है निश्चित रहे।
जो लोग ये कह रहे है कि त्रिपुरा में खुली प्रतियोगिता करवाने का आदेश पारित किया गया है (जबकि ये अर्ध सत्य ही है)अतः यहा भी खुली प्रतियोगिता होगी तो आप को बता देना चाहता हूँ की वहाँ की परिस्थितियां अलग है यहाँ की परिस्थितिया अलग है।
त्रिपुरा की नियमावली अलग है।
यूपी की नियमावली अलग है।
यूपी में सन 1981 में बनी बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली
का प्रयोग किया जाता है।
जबकि अन्य राज्यो में सन 1998, 2000,2001,2004 आदि में बनी नियमावलियों का प्रयोग किया जाता है।
अतः त्रिपुरा से यूपी का कोई सम्बन्ध नही है।
न्याय के मंदिर का फैसला ऐतिहासिक होगा हम जितना अपना दिमाग अपना कानून
लगा रहे है कोर्ट उतने पचड़े में पड़ना ही नही चाहती।
कोर्ट बड़ा सीधा सा और सरल न्याय करने जा रहा है।
क्यू की हमारी भर्ती फर्जीवाड़ा ,नानटेट , टेट मेरिट,अकादमिक मेरिट, बीएड टेट पास
बीटीसी टेट पास,sm टेट पास ।
फिर 12वां संसोधन 15वां संसोधन 16वां संसोधन
आदि इतने मामलों मे उलझ गई थी कि अगर पूर्ण संविधान और कानून का प्रयोग कर दे तो सारी भर्तियां रद्द करनी पड़ जाएगी क्यू की नए और पुराने दोनों विज्ञापनों में कुछ न कुछ दोष है।
12वां 15वां 16वां कोई भी संसोधन पूर्ण संवैधानिक नही
है सबमे खोट है।
अतः कोर्ट कोई भी भर्ती रद्द नही करना चाहता।
कोर्ट का view क्लियर है कि जो भी टेट पास है
वह इस पद के लिए योग्य है।
कोर्ट ने ये भी कहा कि विज्ञापन चाहे पुराना वाला हो चाहे
नया वाला सब सही है।
विज्ञापन कोई सा भी हो अगर उसका आवेदक टेट पास है
तो विज्ञापन सही है।
भर्ती रद्द करने पर भयंकर असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
और बेसिक शिक्षा व्यवस्था चरमरा जाएगी अतः
न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी भर्तियां हो चुकी है सब सही है
उनसे कोई छेड़छाड़ नही की जाएगी।
अतः न्यायालय अब इसे
सुलझाने के लिए संविधान के उस
उपबन्ध का प्रयोग कर रहा है जहाँ कानून लचीला हो
जाता है।
जहाँ जज को ये विशेषाधिकार प्राप्त है कि यदि
कोई बेहद पेचीदा मामला हो और उसको निर्णीत
करने में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो रहा हो तो वह भारतीय संविधान में वर्णित प्राकृतिक न्याय अधिनियम(नेचुरल जस्टिस एक्ट) जो मेनका गांधी पासपोर्ट विवाद से अस्तित्व आया है का
प्रयोग करके अपने विवेक के आधार पर विवादों को
सुलझाने के लिए स्वतंत्र फैसला दे सकता है।
अतः हमारा मामला आर0टी0ई0एक्ट के प्रावधानों
एवं नेचुरल जस्टिस एक्ट के तहत ही निर्णीत होगा।
@ अतः
सभी टेट पास (82अंक तक) का चयन सुनिश्चित
है।
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