सुप्रीम कोर्ट के आर्डर में 5 जजेज की बेंच द्वारा पारित उमा देवी केस के आर्डर का उल्लंघन , अपील के सबसे मजबूत बिन्दू इस प्रकार हैं

सभी TET भाईयो से अपील है कि आप सभी एक बार इस पोस्ट को अवश्य पढे -
मा0 सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ में अपील के दौरान हमारे सबसे मजबूत बिन्दू इस प्रकार हैं -
1 - जब कोई भी कोर्ट अपने से बड़े कोर्ट के आर्डर का उल्लंघन नहीं कर सक्ती तो मा0 गोयल और ललित जी
की बेंच ने अपने आर्डर में 5 जजेज की बेंच द्वारा पारित उमा देवी केस के आर्डर का उल्लंघन कैसे कर दिया?? क्यों कि उमा देवी केस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी आर्डर दया और मानवता के आधार पर नहीं होने चाहिए साथ ही यह भी कहा गया है कि संविदा कर्मी को नियमित नहीं किया जा सकता / जब कि मा0 गोयल और ललित सर की बेंच ने अपने आर्डर में कहा है कि SM के 17 साल की सेवा को देखते हुए उन्हें दो बार TET में बैठने और भर्ती में शामिल होने के चान्स दिये गये हैं अर्थात दया स्वरुप दिये गये हैं / क्या हम जान सक्ते हैं कि उन्हें टे छूट किस नियम के तहत दी गई है? क्या ये वैधानिक है?
2 - मा0 गोयल और ललित जी ने अपने आर्डर में इस बात इस बात का उल्लेख किया गया है कि मा0 डा0 चन्द्र चूड द्वारा दिया गया संवैधानिक पीठ का आर्डर एक दम सही है / तो उस आर्डर में यह कहा गया है कि SM एक एक सामुदायिक संविदा सेवा कर्मी हैं जो किसी भी प्रकार के शिक्षक बनने के लायक नहीं हैं और इनके समायोजन से सभी TET पास अभ्यर्थियो का अहित हुआ है / फ़िर मा0 गोयल और ललित जी ने हमारे हित का ध्यान क्यों नहीं रखा ?
क्या न्याय पानेका हमे हक नहीं है?
क्या उन्हें ये नहीं पता था कि हम गत 6 - 7 सालो से शोषण के शिकार हुये हैं ?
क्या उन्हें ये नहीं पता था कि SM का समयोजन पूवर्ती SP GOV. की अपने राजनीतिक एजेन्डे को पूरा करने हेतु एक सोची समझी राजनीतिक साजिश के तहत किया गया है जो कि एक घोर अपराध है और अपराध की सजा दया नहीं दंड होता है जिसमें मुख्य रुप पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री और बेसिक शिक्षा सचिव सहित अन्य संलिप्त अधिकारी दोषी हैं दंड के पात्र हैं /
@@ अंत में हम यही कह सकते हैं कि मा0 द्वय जज महोदय ने उपरोक्त मामले में वैधानिक पक्ष को नजरन्दाज करते हुये सीनियर वकीलों की फ़ौज के आगे घुटने टेक दिये जिसमे दोषी को इनाम दिया और सही योग्य पीडीत को कुछ नहीं दिया यह जानते हुये भी की हमारे साथ अन्याय हुआ है /
मा0 सुप्रीम कोर्ट की SM के साथ दया और हमारे साथ बेरुखी ये न्याय सन्गत नहीं है /
जबकि उन्हें पता है कि उनके द्वारा दिया गया आर्डर पूरे देश के लिए नजीर बनेगा फ़िर भी उन्हों ने ऐसा आर्डर दिया जो समझ से परे है /
अंत में हम यही कहेन्गे 25/07/17 के आर्डर में विरोधाभाषो की भरमार है और यह साजिशन अपराध करके दया प्राप्त कर बचने की प्रवृत्ति को बढावा देगा /
@@@ अंत में हम TET मोर्चा के सभी अग्रणी नेताओ से अपील करते हैं कि आप सभी इस पोस्ट को पढे इसके प्रमुख बिन्दुओ को संवैधानिक पीठ में बहुत मजबूती से उठाये / हामारा उद्देश्य इस पोस्ट के द्वारा किसी के भावनाओ को ठेस पहुचाना नहीं अपितु सत्य को सामने लाना है फ़िर भी अगर किसी को ठेस पहुचा हो तो हम क्षमा प्रार्थी हैं / वैसे तो हम मा0 SC के आर्डर का सम्मान करते हैं किन्तु क्षमा हम भी इंसान हैं , हमे भी न्याय पाने का हक है हमरा विश्वास न्यायपालिका से उठ रहा है /
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