भोले भाले शिक्षामित्रों की धैर्य की परीक्षा न ले सरकार: पंकज

शिक्षा मित्र संघर्ष मोर्चा की तीन सितम्बर को लखनऊ में प्रस्तावित बैठक के मद्देनजर जिले के शिक्षा मित्रों ने शनिवार को बीएसए कार्यालय परिसर में बैठक कर सुझाव एकत्रित किये।
अपने भविष्य को लेकर चिंतित शिक्षा मित्रों ने प्रदेश सरकार की ढुलमुल नीति पर आक्रोश जताया। कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समायोजन रद करने के बाद शिक्षामित्र किस स्थिति में जी रहे हैं, इसका अनुमान प्रदेश सरकार के जिम्मेदार नहीं लगा पा रहे हैं। आज अगर शिक्षा मित्रों के साथ अप्रिय घटनाएं घट जा रही हैं तो इसकी जिम्मेदारी लेने तक को कोई तैयार नहीं है। शिक्षामित्रों ने प्रांतीय नेतृत्व को सलाह देते हुए कहा कि अतिशीघ्र प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी शिक्षक का पद सृजित करते हुए शिक्षामित्रों को प्रथम वरीयता के आधार पर स्थायी तैनाती दिलाने की दिशा में पहल होनी चाहिए। सरकार ने जल्दबाजी में टेट का फार्म तो निकाल दिया है, लेकिन शिक्षामित्रों को मिलने वाले भारांक आदि के लिए कोई आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ। शिक्षामित्रों ने अपनी आगामी आंदोलन की रणनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि समय रहते प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के भविष्य के प्रति गंभीर होकर आवश्यक कदम नहीं उठाती है तो नमामि गंगे योजना के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वाराणसी आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिक्षामित्र उनका वादा 'शिक्षा मित्रों को जिम्मेदारी हमारी' याद दिलायेंगे। शिक्षामित्र संघर्ष समिति के संयोजक पंकज सिंह व सह संयोजक सूर्य प्रकाश यादव सोनू द्वारा बुलाई गयी बैठक में काशीनाथ यादव, सूर्यप्रताप यादव, चन्द्रभान सिंह, दिनेश सिंह, अखिलेश सिंह प्रवक्ता, जितेंद्र कुमार राय, शशिकांत चौबे, दिलीप कुमार, अनिल कुमार, शशिकांत, अजय शक्ति यादव, राजेश अंचल, मोहन यादव, राजू प्रसाद, जनार्दन तिवारी, संजय मिश्रा, चंद्रशेखर सिंह, स्वामीनाथ तिवारी, आनंद सिंह, रमेश पांडेय, अनिल यादव, श्यामनंदन मिश्रा मंटू, संजय पाल, वीरेन्द्र, श्याम सुन्दर तिवारी, अनिल सिंह, विनय सिंह, चन्दन मिश्र, जगनारायण पाठक, नीतू उपाध्याय, सरिता दूबे, सोनी दूबे, विजयलक्ष्मी, सुमन चतुर्वेदी, सीमा मिश्र, मंजू उपाध्याय, शह्यल पांडेय, निशा तिवारी, अर्चना चौबे आदि थे।

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