शिक्षकों की कमी से लड़खड़ाई शिक्षा व्यवस्था, कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद भी शासन बेखबर
महराजगंज : जिले में शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए सरकार द्वारा एक अरब से अधिक
का व्यय किया जा रहा है , मगर इसके बावजूद भी शिक्षा व्यवस्था में वह सुधार नहीं दिख रहा है जो दिखना चाहिए। स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। कहीं मानक से अधिक शिक्षक हैं तो कहीं विद्यालय एकल है, और तो और शिक्षकों की भर्ती में अडंगेबाजी से नियुक्ति प्रक्रिया में रोड़ा अटक जाने से शिक्षा व्यवस्था उलझी हुई है। जिले में हिंदी माध्यम से प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शासन ने कुल 2144 विद्यालयों की स्थापना की है। मंशा है कि इन विद्यालयों के माध्यम से शिक्षा के स्तर में अपेक्षित सुधार लाया जाए , मगर वह अभी तक प्रभावी नहीं दिख रहा है। प्राथमिक व माध्यमिक में शिक्षा की स्थिति इसलिए नहीं सुधर पा रही है , क्योंकि शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए यदि कोई भी शिक्षक भर्ती आ रही है , तो नियमों व मानकों का हवाला देकर अभ्यर्थी उसे लेकर न्यायालय चले जा रहे हैं, वह भर्तियां तब तक नहीं हो पा रही हैं जब तक न्यायालय उस दिशा में कोई स्पष्ट आदेश नहीं आ रहा है। प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक शिक्षक भर्ती व अनुदेशक भर्ती तथा माध्यमिक विद्यालयों में राजकीय विद्यालयों में एलटी व प्रवक्ता भर्ती पर रोक लगने से जहां शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो पा रही है , वहीं राजकीय महाविद्यालय में शिक्षकों के अभाव ने उसकी सार्थकता पर सवाल खड़ा कर दिया है। महाविद्यालयों का मामला न्यायालय में तो नहीं है , मगर शासन द्वारा तैनाती न किए जाने से यहां पर शिक्षकों का टोटा है।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines