असलियत में छाना जाए तो 1,37,000 लगभग का समायोजन हुआ था लेकिन वापस पदों पर जाने वालों की संख्या लगभग एक लाख बाईस हज़ार ही है |
ये समायोजन नहीं था ये खेल था पैसों का क्योंकि अधिकारी जानते थे कि न्यायालय में समायोजन टिक नहीं पाएगा और फिर भी समाजवादी शासकों के कहने पर इनका असंवैधानिक समायोजन किया गया |
याद होगा नहीं तो बता देता हूँ नीतिश्वर कुमार तत्कालीन निदेशक ने 2014 में समायोजन से हाथ खींच लिए थे और हटा दिए गए थे तब मा० एचएल गुप्ता जी ने कमान सम्भाली थी और 72825 से वरिष्ठ बनने की ज़िद में आनन फ़ानन तरह से नियुक्तियाँ हुई यहाँ तक की घर घर जाकर नियुक्ति पत्रों का वितरण हुआ था करने वाले और कोई नहीं ऐसे ही महानुभाव थे |
बहरहाल किसी को क्या मिला ?
पाँच सौ से ज़्यादा आत्माहत्याएँ और अधिकारियों का ?
मूक बनकर पूरा प्रदेश देखता रहा कि कौन लोहा ले इस असभ्य क़ौम से ?
आज भी सत्ता के शिकार होने से बेहतर है कि मेहनत करके क़ाबिल लोग कुछ पा लें क्योंकि इनके दलों के नेताओं को इनकी चिंता नहीं अपनी राजनीति भूमि की चिंता है बाक़ी होना या आना नहीं है कुछ |
#राणा 😎
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