शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का हवाला देकर जताया विरोध

गोरखपुर : तमाम गतिरोधों, विवादों से पार पाते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय में अब जबकि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो रही है वहीं विभिन्न संगठनों ने नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का पालन न होने की बात कहते हुए नियुक्ति रोकने की मांग की है।

रविवार को 10 विभागों के लिए शिक्षक साक्षात्कार प्रक्रिया के परिणाम जारी होने के एक दिन पहले ज्वाइंट एक्शन कमेटी टू सेव रिजर्वेशन और पिछड़ा वर्ग कल्याण परिषद के बैनर तले प्रदर्शन करते हुए लोगों ने नियुक्ति प्रक्रिया को नियम विरुद्ध करार दिया। प्रदर्शन में विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षक और शोधार्थी भी शामिल रहे। विश्वविद्यालय द्वार पर हुए इस प्रदर्शन में सदर सांसद प्रवीण निषाद ने भी सहभाग किया। सांसद ने यूजीसी के हालिया नियमों का हवाला देते हुए कहा कि 29 अप्रैल को साक्षात्कार प्रक्रिया का परिणाम जारी नहीं किया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने कुलसचिव को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन भी सौंपा।


आरक्षण विरोधी हैं प्रदर्शनकारी : शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के जारी विरोध के बीच कुलपति प्रो. वीके सिंह ने नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी तरह विधिसम्मत बताया है। कुलपति ने कहा है कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों के विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन तथा नियुक्ति प्रक्रिया न्यायालय एवं यूजीसी के निर्देशों के अनुरूप पूरी की गई है। जिन 53 पदों के परिणाम कल कार्यपरिषद के सम्मुख प्रस्तुत किए जाने हैं, उसमें 30 पद आरक्षित संवर्ग के हैं। इससे स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय आरक्षण के प्रावधानों और न्यायालय के निर्देशों के प्रति कितना प्रतिबद्ध है। विरोध करने वाले स्वयं आरक्षण विरोधी हैं, अन्यथा वह इतनी बड़ी संख्या में आरक्षित संवर्ग की भर्ती का विरोध नहीं करते।