एडीएम वित्त एवं राजस्व राकेश कुमार मालपानी ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि फाइलें गायब होने का मामला उनके सामने तब आया जब कई लोग उनके दफ्तर आए और शिकायत की कि उनके दस्तावेज विभाग में नहीं मिल रहे हैं। वहीं अज्ञात व्यक्ति की तरफ से एक लिखित शिकायत भी दी गई। जब एडीएम ने अपने स्तर से फाइलें मंगवाई गईं तो वे विभाग में नहीं मिलीं।
सूत्रों की मानें तो 2008 में शरद जोशी को मृतक आश्रित में नौकरी मिली थी। उसके बाद उन्हें वित्त एवं राजस्व विभाग की इन फाइलों के रख-रखाव का जिम्मा दिया गया था। शिकायत में कहा गया था कि शरद शराब पीकर दफ्तर आते हैं और लोगों से घूस लेते हैं। शरद के खिलाफ शिकायत आने पर अधिकारियों ने उसका ट्रांसफर कमर्शल टैक्स विभाग में कर दिया था। यहां पर भी वह सही से काम नहीं कर सका तो उसे वापस एडीएम ऑफिस भेज दिया गया।
राजस्व विभाग के अधिकारी ने बताया कि बीते पांच साल से शरद को कई बार ट्रांसफर किया गया और कई बार उसका ट्रांसफर हुआ। पिछले महीने ट्रांसफर के बाद उसे फिर से वित्त एवं राजस्व विभाग में ही तैनात कर दिया गया। वह मुश्किल से 20 दिन ऑफिस आया उसके बाद उसे किरौली तहसील भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि फाइलें गायब होने में शरद का हाथ हो सकता है। वह जांच में भी अधिकारियों की मदद नहीं कर रहा है।
जांच कर रहे एडीएम ने बताया कि शरद को पूछताछ के लिए दफ्तर में बुलाया गया है। उसे गलत काम करने के लिए पहले भी कई बार सस्पेंड किया जा चुका है। जांच के बाद फाइलें गायब होने में जिसका भूमिका पाई जाएगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।