मुरादाबाद (राघवेंद्र शुक्ल)। प्रदेश सरकार शिक्षामित्र के निधन हो
जाने पर कोई मदद नहीं करती है तो उनके परिवार के सामने आर्थिक समस्या
उत्पन्न हो जाती है। इस स्थिति को देखते हुए सम्भल के गांव गुलालपुर जाटो
वाला स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य अशोक कुमार ने उनकी मदद के
लिए एक संगठन बनाया है जिसमें सरकारी स्कूलों में तैनात शिक्षकों को शामिल
किया गया है।
यह संगठन शिक्षामित्रों के असामयिक निधन हो जाने पर नकद
धनराशि देकर मदद कर रहा है। बनाया शिक्षक कल्याण संगठन जिले में
शिक्षामित्रों व शिक्षकों की संख्या भी 2400 के करीब है। इसमें से तमाम ऐसे
शिक्षा मित्र हैं जिनके निधन के बाद सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है। ऐसे
शिक्षा मित्र या ऐसे शिक्षक जो पेंशन पाने की श्रेणी में नहीं आते हैं।
उनके असामयिक निधन पर जिले के शिक्षक अशोक कुमार अध्यापक मझरा गुलालपुर
जाटो वालों ने शिक्षक कल्याण संगठन की स्थापना की है। इस संगठन में सरकारी
विद्यालयों में तैनात शिक्षक- शिक्षिकाओं को जोड़ा गया है। अब तक संगठन में
200 शिक्षक जुड़ चुके है। यह संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का काम नहीं
करेगा। अब तक दो शिक्षामित्रों के निधन पर उनके परिजनों को कर चुके आर्थिक
मदद
इस संगठन ने पूर्व में गांव दतावली निवासी धीरज ¨सह शिक्षामित्र के
निधन पर परिजनों को 41 हजार रुपये व सम्भल विकास खंड क्षेत्र के गांव
सीतापुरी निवासी राजेंद्र ¨सह के निधन पर पत्नी को 55 हजार रुपये की मदद
दी। यह मदद इनकी अकेले की नहीं है। जो कारवां शुरू किया उसमें शामिल शिक्षक
अजय कुमार, सचिन कुमार, प्रदीप ¨सह, रुकमेश ¨सह, बसंत कुमार, सारिका
शर्मा, मोहम्मद उमर, नईम अहमद, नरेंद्र कुमार शर्मा, अमित राहल, हरिओम
शर्मा, अमित त्यागी, महेंद्र ¨सह, रविकांत त्यागी, प्रमोद त्यागी, धर्मेद्र
वर्मा, अनुज शर्मा, मोहम्मद अमजद, खड़क ¨सह विशेष योगदान दे रहे है। संगठन
के पदाधिकारियों को शिक्षामित्र के निधन हो जाने की जानकारी मिलती है तो
संगठन के अध्यक्ष वाट्स एप पर अपने संगठन के ग्रुप में संदेश डालते हैं
जिसके बाद प्रत्येक सदस्य से 200 से 500 रुपये एकत्र करने के लिए कहा जाता
है। उनका कहना है कि शिक्षामित्र भी उनके ही साथी है। सरकार मदद नहीं करती
तो हमारा मदद करने का दायित्व है।
क्या कहते हैं संगठन के अध्यक्ष अशोक कुमार हम लोग अपने लिए तो सब कुछ
करते ही है लेकिन हमें इससे हटकर दूसरों के लिए भी कुछ करना चाहिए। ईश्वर
ने हम इस लायक बनाया है, तो हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। इसीलिए मैंने
अपने साथी शिक्षकों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया है। इसका उद्देश्य
शिक्षामित्र व रसोइयों की मदद करना है। शिक्षक के निधन के बाद तो सरकार से
मदद मिलती ही है लेकिन शिक्षामित्रों को मदद के रूप में कुछ नहीं मिल पाता।
ऐसे में उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जाता है।
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