जासं, कौशांबी : फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वर्ष 2016
से ही उनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद भी एक शिक्षक
विभागीय कर्मचारियों से मिलीभगत कर वेतन का भुगतान ले रहा था।
बेसिक शिक्षा
अधिकारी कार्यालय से फर्जी शिक्षकों की सूची जारी हुई तो विभाग में हड़कंप
मच गया। एक शिक्षक को अब तक वेतन कैसे मिल रहा था। इसको लेकर अब जांच की
बात सामने आ रही है।
चित्रकूट जनपद के बछरन अर्जुनपुर निवासी एक युवक जिले में फर्जी
दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहा था। वर्ष 2016 में तत्कालीन बेसिक
शिक्षा अधिकारी डीएम यादव ने जांच की तो शिक्षक के दस्तावेज फर्जी पाया।
उन्होंने दस्तावेजों के सत्यापन के लिए विभाग को भेजते हुए उसके वेतन
भुगतान पर रोक लगा दी, लेकिन उनके आदेश को किसी विभागीय कर्मचारी ने दबा
लिया। फर्जी शिक्षक को जुलाई 2018 तक लगातार वेतन का भुगतान होता रहा।
बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से जब फर्जी शिक्षकों की सूची बाहर आई
तो उसके वेतन भुगतान को लेकर हड़कंप मच गया। हर कोई इस मामले की जांच की
बात कर रहा है। एबीएसए मंझनपुर डॉ. अविनाश ¨सह ने बताया कि उनको पास केवल
उपस्थित सत्यापन के लिए ही सूची आती है। उसका वेतन कैसे जारी हो रहा था।
इसकी वह जांच कराएंगे।
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