जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : सरकारी बैंकों की कर्मचारी यूनियनों ने चार दिनों की अपनी प्रस्तावित हड़ताल वापस ले ली है। इससे वित्त
मंत्री अरुण जेटली ने जरूर राहत की सांस ली होगी। कर्मचारी यूनियनों के
प्रतिनिधियों और भारतीय बैंक संघ (आइबीए) के अधिकारियों के बीच कई दौर में
चली बातचीत के बाद सोमवार को हड़ताल वापसी का एलान किया गया। आइबीए बैंक
कर्मियों के वेतन में 15 फीसद की बढ़ोतरी करने को तैयार हो गया है। साथ ही
अब हर दूसरे शनिवार (माह में दूसरे व चौथे) को सरकारी बैंक बंद रहेंगे।
महीने के अन्य शनिवार को पूरे दिन बैंक में काम होगा।
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बैंक यूनियनों ने 25 फरवरी से 28 फरवरी तक चार दिनों की हड़ताल का एलान कर
रखा था। वित्त मंत्री को 28 फरवरी को ही बजट पेश करना है। इस दौरान हड़ताल
से उनके लिए बड़ी असहज स्थिति पैदा हो जाती। इस सहमति के बावजूद नेशनल
ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा का कहना है कि
वेतनमान बढ़ोतरी को लेकर अभी कर्मचारी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
कर्मचारी संघ 19.5 फीसद बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे। इस बारे में आगे भी
बातचीत जारी रहेगी। बहरहाल, दोनो पक्षों के बीच जो समझौता हुआ है, उसके
मुताबिक नया वेतनमान एक नवंबर, 2012 से लागू माना जाएगा। सरकारी क्षेत्र के
बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले वेतन व भत्ते में 15 फीसद की बढ़ोतरी
होगी।
दबाव में झुका आइबीए : जानकारों का कहना है कि वित्त मंत्रलय की तरफ से आइबीए को यह निर्देश मिला था कि इस हड़ताल को हर कीमत पर टाला जाना चाहिए। चार दिनों की यह हड़ताल उस समय प्रस्तावित थी, जब मोदी सरकार अपना पहला पूर्ण बजट पेश करने की तैयारी में है। आइबीए बैंकों की मौजूदा हालत को देखते हुए वेतनमान में बड़ी बढ़ोतरी को तैयार नहीं था, लेकिन सरकार के दबाव में इसे स्वीकार किया गया है।
दबाव में झुका आइबीए : जानकारों का कहना है कि वित्त मंत्रलय की तरफ से आइबीए को यह निर्देश मिला था कि इस हड़ताल को हर कीमत पर टाला जाना चाहिए। चार दिनों की यह हड़ताल उस समय प्रस्तावित थी, जब मोदी सरकार अपना पहला पूर्ण बजट पेश करने की तैयारी में है। आइबीए बैंकों की मौजूदा हालत को देखते हुए वेतनमान में बड़ी बढ़ोतरी को तैयार नहीं था, लेकिन सरकार के दबाव में इसे स्वीकार किया गया है।
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