6 अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्ति वालों को फायदा
लखनऊ। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में तदर्थ रूप से काम करने वाले वही शिक्षक स्थायी होंगे, जिनकी नियुक्ति 6 अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 के बीच हुई है। इसके बाद नियुक्ति पाने वाले तदर्थ शिक्षकों को स्थायी नहीं किया जाएगा। शासन स्तर पर तय अवधि के आधार पर केवल 1934 शिक्षकों को ही स्थायी होने का फायदा मिलेगा। यह फायदा शर्तों के आधार पर मिलेगा।
मसलन नियुक्ति के समय पद था या नहीं, मौजूदा समय रिक्तियों की क्या स्थिति है। डीआईओएस से लेकर मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक इसका परीक्षण करेंगे। इसके बाद स्थायी होने का फायदा दिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी में है।
प्रदेश में राजकीय इंटर कॉलेजों में भर्तियां उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग तथा सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करता है। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में रिक्त पदों पर तदर्थ शिक्षकों की भर्ती प्रबंधन स्तर पर भी कर ली गई है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। शिक्षक संघों ने वर्ष 2011 तक नियुक्ति तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने की मांग की थी। इस संबंध में शिक्षक नेताओं और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक भी हुई थी, लेकिन शासन में 30 दिसंबर 2000 तक तदर्थ शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने वालों को ही स्थायी करने पर सहमति बनी है। इसका फायदा सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में धारा 18 के अंतर्गत 30 दिसंबर 2000 तक 1408 तथा कठिनाई निवारण आदेश के अंतर्गत 25 जनवरी 1999 तक नियुक्ति पाने वाले 526 तदर्थ शिक्षकों को मिलेगा।
अधिनियम में होगा संशोधन
तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 33 में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को विनियमित करने के लिए धारा 33 छ जोड़ते हुए इसका प्रावधान किया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि मौलिक रूप से रिक्त पद के प्रति 6 अगस्त 1993 को या उसके बाद, लेकिन 30 दिसंबर 2000 के बाद पदोन्नति या सीधी भर्ती के रिक्त पद पर नियुक्ति गया हो। नियुक्ति पाने वाले लगातार कार्य रहा हो और वेतन मिल रहा हो। नियुक्ति के समय अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण का पालन किया गया होना चाहिए। शिक्षक पद का मामला न्यायालय में विचाराधीन नहीं होना चाहिए।
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मसलन नियुक्ति के समय पद था या नहीं, मौजूदा समय रिक्तियों की क्या स्थिति है। डीआईओएस से लेकर मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक इसका परीक्षण करेंगे। इसके बाद स्थायी होने का फायदा दिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी में है।
प्रदेश में राजकीय इंटर कॉलेजों में भर्तियां उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग तथा सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करता है। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में रिक्त पदों पर तदर्थ शिक्षकों की भर्ती प्रबंधन स्तर पर भी कर ली गई है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। शिक्षक संघों ने वर्ष 2011 तक नियुक्ति तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने की मांग की थी। इस संबंध में शिक्षक नेताओं और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक भी हुई थी, लेकिन शासन में 30 दिसंबर 2000 तक तदर्थ शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने वालों को ही स्थायी करने पर सहमति बनी है। इसका फायदा सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में धारा 18 के अंतर्गत 30 दिसंबर 2000 तक 1408 तथा कठिनाई निवारण आदेश के अंतर्गत 25 जनवरी 1999 तक नियुक्ति पाने वाले 526 तदर्थ शिक्षकों को मिलेगा।
अधिनियम में होगा संशोधन
तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 33 में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को विनियमित करने के लिए धारा 33 छ जोड़ते हुए इसका प्रावधान किया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि मौलिक रूप से रिक्त पद के प्रति 6 अगस्त 1993 को या उसके बाद, लेकिन 30 दिसंबर 2000 के बाद पदोन्नति या सीधी भर्ती के रिक्त पद पर नियुक्ति गया हो। नियुक्ति पाने वाले लगातार कार्य रहा हो और वेतन मिल रहा हो। नियुक्ति के समय अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण का पालन किया गया होना चाहिए। शिक्षक पद का मामला न्यायालय में विचाराधीन नहीं होना चाहिए।
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