लखनऊ। मुकदमों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
सुनवाई की नई व्यवस्था लागू की है। अब हर मुकदमे में अगली तारीख तय की
जाएगी। इसे मंगलवार से ही लागू कर दिया गया है। इससे न सिर्फ वादकारियों को
राहत मिलेगी बल्कि आने वाले समय में पेपरलेस कोर्ट की दिशा में भी कदम आगे
बढ़ाने में आसानी होगी।
नई व्यवस्था में एक जुलाई या इसके बाद की अर्जियों, याचिकाओं, अपीलों पर पारित आदेश के तहत मुकदमे सूचीबद्ध किए जाएंगे। इससे पहले के आदेशों पर अमल नहीं होगा बल्कि उनके लिए नए सिरे से अर्जी ली जाएगी। इसमें केस की पिछली तारीख, उस दिन पारित आदेश, समय पूर्व सुने जाने की आवश्यकता, एडवोकेट रोल में दर्ज वकील का नाम नंबर सहित, विपक्षी अधिवक्ता का नाम व एडवोकेट रोल नम्बर स्पष्ट रूप से लिखना होगा। अब सीनियर सिटीजन की अर्जी के साथ आयु का साक्ष्य देना होगा तथा नयी याचिकाओं के साथ एक प्रोफार्मा दाखिल करना होगा जिसमें केस याची व विपक्षी अधिवक्ता का ब्योरा, अपराध की जानकारी तथा अधीनस्थ न्यायालय या हाईकोर्ट में मुकदमे से संबंधित वादों का विवरण देना होगा। यदि याचिका में दोनों तरफ से एक से अधिक पक्षकार हैं तो उनकी भी पूरी जानकारी देनी होगी। मुकदमे की पेशी में जिला एवं खंडपीठ या एकलपीठ क्षेत्राधिकार का भी उल्लेख करना होगा।
हाईकोर्ट के उपनिबंधक लिस्टिंग के अनुसार यह व्यवस्था मुकदमों की सुनवाई तारीख की अनिश्चितता को समाप्त करने के लिए लागू की गई है। अभी तक मुकदमों की सुनवाई के लिए काजलिस्ट छपती है जिसे अगली जनवरी से बंद किया जाना है। मुकदमों के सूचीबद्ध होने की सूचना हाईकोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। साथ एक संस्था शुल्क लेकर वकीलों का सूचीबद्ध मुकदमों की सूचना एसएमएस या कई अन्य तरीकों से उपलब्ध कराएगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
नई व्यवस्था में एक जुलाई या इसके बाद की अर्जियों, याचिकाओं, अपीलों पर पारित आदेश के तहत मुकदमे सूचीबद्ध किए जाएंगे। इससे पहले के आदेशों पर अमल नहीं होगा बल्कि उनके लिए नए सिरे से अर्जी ली जाएगी। इसमें केस की पिछली तारीख, उस दिन पारित आदेश, समय पूर्व सुने जाने की आवश्यकता, एडवोकेट रोल में दर्ज वकील का नाम नंबर सहित, विपक्षी अधिवक्ता का नाम व एडवोकेट रोल नम्बर स्पष्ट रूप से लिखना होगा। अब सीनियर सिटीजन की अर्जी के साथ आयु का साक्ष्य देना होगा तथा नयी याचिकाओं के साथ एक प्रोफार्मा दाखिल करना होगा जिसमें केस याची व विपक्षी अधिवक्ता का ब्योरा, अपराध की जानकारी तथा अधीनस्थ न्यायालय या हाईकोर्ट में मुकदमे से संबंधित वादों का विवरण देना होगा। यदि याचिका में दोनों तरफ से एक से अधिक पक्षकार हैं तो उनकी भी पूरी जानकारी देनी होगी। मुकदमे की पेशी में जिला एवं खंडपीठ या एकलपीठ क्षेत्राधिकार का भी उल्लेख करना होगा।
हाईकोर्ट के उपनिबंधक लिस्टिंग के अनुसार यह व्यवस्था मुकदमों की सुनवाई तारीख की अनिश्चितता को समाप्त करने के लिए लागू की गई है। अभी तक मुकदमों की सुनवाई के लिए काजलिस्ट छपती है जिसे अगली जनवरी से बंद किया जाना है। मुकदमों के सूचीबद्ध होने की सूचना हाईकोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। साथ एक संस्था शुल्क लेकर वकीलों का सूचीबद्ध मुकदमों की सूचना एसएमएस या कई अन्य तरीकों से उपलब्ध कराएगी।
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