सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने
की खबर फैलते ही पूरे प्रदेश में शिक्षामित्रों के चेहरे खिल उठे। खुशियां
मनाने के साथ ही उन्होंने आगे की कानूनी लड़ाई के लिए तैयार रहने पर भी
विचार किया।
बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने भी इसे राहत भरा फैसला बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश देखने के बाद ही कोई अगला निर्णय किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने गत 12 सितंबर को शिक्षामित्रों के समायोजन के राज्य सरकार के फैसले को अवैध करार दिया था। इसके बाद शासन ने शिक्षामित्रों का बढ़ा वेतन वापस ले लिया था। इस फैसले से शिक्षामित्रों में निराशा फैल गई।
खुदकुशी या हार्ट अटैक से 50 से ज्यादा शिक्षामित्रों की मौत भी हो गई। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार के अलावा शिक्षामित्रों और उनके संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका(एसएलएपी) दायर की थी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने की खबर पूरे प्रदेश में फैल गई। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला और महामंत्री पुनीत चौधरी ने इस बाबत राज्य सरकार के प्रयासों की भी सराहना की।
देर रात बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने अमर उजाला को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश काफी राहत देने वाला है। क्या अब शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापकों के समान वेतनमान दिया जाएगा? इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि अभी सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर मिला नहीं है। इसका अध्ययन करने के बाद ही आगे कोई निर्णय किया जाएगा।
पहली परीक्षा में पास हुए आशीष गोयल
नवनियुक्त सचिव प्राथमिक शिक्षा आशीष गोयल भी पूरे समय सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे। उन्होंने राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर शमशाद को खड़ा किया था। विभाग के लोगों का कहना है कि इस मामले में जितनी तेजी से सचिव आशीष गोयल ने फैसले किए, उससे यह साफ हो गया कि सरकार की नजर में उन्होंने पहली परीक्षा पास कर ली है।
इस मामले में लचर पैरवी के कारण ही हाल ही में प्रमुख सचिव डिम्पल वर्मा को हटाकर वेटिंग में डाल दिया गया था।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने भी इसे राहत भरा फैसला बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश देखने के बाद ही कोई अगला निर्णय किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने गत 12 सितंबर को शिक्षामित्रों के समायोजन के राज्य सरकार के फैसले को अवैध करार दिया था। इसके बाद शासन ने शिक्षामित्रों का बढ़ा वेतन वापस ले लिया था। इस फैसले से शिक्षामित्रों में निराशा फैल गई।
खुदकुशी या हार्ट अटैक से 50 से ज्यादा शिक्षामित्रों की मौत भी हो गई। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार के अलावा शिक्षामित्रों और उनके संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका(एसएलएपी) दायर की थी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने की खबर पूरे प्रदेश में फैल गई। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला और महामंत्री पुनीत चौधरी ने इस बाबत राज्य सरकार के प्रयासों की भी सराहना की।
देर रात बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने अमर उजाला को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश काफी राहत देने वाला है। क्या अब शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापकों के समान वेतनमान दिया जाएगा? इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि अभी सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर मिला नहीं है। इसका अध्ययन करने के बाद ही आगे कोई निर्णय किया जाएगा।
पहली परीक्षा में पास हुए आशीष गोयल
नवनियुक्त सचिव प्राथमिक शिक्षा आशीष गोयल भी पूरे समय सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे। उन्होंने राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर शमशाद को खड़ा किया था। विभाग के लोगों का कहना है कि इस मामले में जितनी तेजी से सचिव आशीष गोयल ने फैसले किए, उससे यह साफ हो गया कि सरकार की नजर में उन्होंने पहली परीक्षा पास कर ली है।
इस मामले में लचर पैरवी के कारण ही हाल ही में प्रमुख सचिव डिम्पल वर्मा को हटाकर वेटिंग में डाल दिया गया था।
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