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कोर्ट के आदेश से खुल जाएंगे बंद विद्यालयों के ताले, फैसले से उल्लास, सुप्रीम कोर्ट ने जगाई उम्मीद, भुखमरी के कगार पर पहुंचे शिक्षामित्रों के परिवारों में खुशी का माहौल

इलाहाबाद । प्राथमिक विद्यालयों में 15 वर्ष की सेवा के बाद हाईकोर्ट के आदेश एकबारगी सड़क पर आ गए शिक्षामित्रों में सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश ने उम्मीद जगाई है। शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह से ठप पड़ गई थी।

बड़ी संख्या में स्कूलों में तालाबंदी की नौबत आ गई थी। अब कोर्ट ने शिक्षामित्रों में नई उम्मीद जगाने के साथ प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों में भी पढ़ाई पटरी पर आने की उम्मीद दिखाई पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के बाद अब कई महीने से वेतन नहीं मिलने से परेशान शिक्षामित्रों के परिवार वालों में भी खुशी का माहौल है।



शिक्षामित्रों को बीते आठ माह से वेतन नहीं मिल रहा था, ऐसे में इनके बच्चों की फीस नहीं जमा हो पा रही थी। घर का खर्च चलाना शिक्षामित्रों के लिए दूभर हो गया था। कोर्ट की ओर से शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने केबाद प्रदेश में एक लाख 31 हजार स्नातक शिक्षामित्र और 40 हजार बारहवीं पास शिक्षामित्र सड़क पर आ गए थे। अब इन शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट ने जीवनदान दे दिया है। शिक्षामित्रों के सामने यह संकट आ गया था कि 40 वर्ष पूरा करने के बाद आखिरकार वह कहां जाएं।


शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के प्रदेश के हर जिले में 100 से अधिक विद्यालयों में ताला बंद हो गया था। हर विकास खंड में कम से कम 20 विद्यालय ऐसे थे जहां की पूरी व्यवस्था शिक्षामित्रों पर आश्रित थी। इन शिक्षामित्रों के हट जाने के बाद अभिभावकों की चिंता बढ़ गई थी कि आखिरकार उनके बच्चों को पढ़ाएगा कौन। गांवों में प्राथमिक विद्यालयों की पूरी व्यवस्था ही शिक्षामित्रों केजिम्मे थी। परिषदीय विद्यालय पहले से ही 3.74 लाख शिक्षकों की कमी थी, शिक्षामित्रों के समायोजन के बाद यह आंकड़ा डेढ़ लाख के करीब आ जाएगा।

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